भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

स्कूल-कॉलेजों में लगाए सिकल सेल एनीमिया स्क्रीनिंग के शिविर

  • राज्य ने अफसरों से कहा रणनीति बनाकर करें काम

भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि सिकल रोग की स्क्रीनिंग के लिए रणनीति बनाकर कार्य किया जाए। जनजातीय क्षेत्रों के स्कूलों और कॉलेजों में सिकल सेल एनीमिया स्क्रीनिंग शिविर लगाकर जाँच करें। जाँच के परिणामों में रोग प्रभावित बच्चों के पालकों की जाँच भी की जाए। गर्भवती माताओं की जाँच कार्य में आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को जोड़ा जाए। इससे कार्य की गति बढ़ेगी और समय की बचत भी होगी। साथ ही उपचार और प्रबंधन कार्य बेहतर होगा।



राज्यपाल पटेल सिकल सेल एनीमिया रोग के उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए रोड मैप के संबंध में केंद्रीय संयुक्त सचिव जनजाति कार्य डॉ. नवलजीत कपूर और विषय-विशेषज्ञों से आभासी माध्यम से चर्चा कर रहे थे। केंद्रीय संयुक्त सचिव डॉ. नवलजीत कपूर ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया रोग नियंत्रण तात्कालिक प्रयासों में प्री-नेटल टेस्टिंग जरूरी है। दीर्घकालिक प्रयासों में लक्षित आबादी में रोग चिन्हांकन कार्य को प्रभावी बनाने के लिए सिकल सेल एनीमिया रोग के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की निओ-नेटल स्क्रीनिंग कर वैक्सीनेशन, इंफेक्शन और कॉम्प्लिकेशन को रोकने के प्रयासों की कार्य-योजना बनाई गई है। रोग उपचार प्रबंधन के लिए दर्द एवं अन्य जटिलताओं के प्रबंधन और स्थायी उपचार के प्रयास जैसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट और क्रिस्पर टेक्नोलॉजी के उपयोग, आवश्यक संसाधन, अन्य व्यवस्थाओं की प्रमाणिकता और शोध संभावनाओं पर कार्य किया जा रहा है। दिव्यांगता संबद्ध सुविधाओं की समुचित व्यवस्थाओं के लिए स्थायी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र देने की व्यवस्थाएँ भी की जा रही हैं। लक्षित आबादी की स्क्रीनिंग का डाटाबेस बनाने, जन-जागरण, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और शोध अनुसंधान संबंधी व्यवस्थाओं की रणनीति तैयार की गई हैं। उन्होंने बताया कि जाँच कार्य की विभिन्न विधियों प्वाइंट ऑफ केयर टेस्ट, पीओसी रेपिड टेस्ट और पीओसी विथ पोर्टेबल मशीन की उपयोगिता और व्यवहारिकता का परीक्षण कर अग्रिम कार्रवाई की जा रही है। गर्भवती माता की पहले त्रैमास में जाँच, रोग कैरियर होने पर पति की जांच और दोनों के कैरियर पाए जाने पर सी.वी.एस सिक्वेंसिंग और बच्चे के सिकल सेल रोग पीडि़त होने पर कॉउंसलिंग की व्यवस्थाओं के साथ लक्षित आबादी के 10 से 25 वर्ष के किशोर और अविवाहित युवाओं की स्क्रीनिंग के कार्य किए जाएंगे।

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