नई दिल्ली: यमुना अथॉरिटी के क्षेत्राधिकार में बनी कंपनियों में काम करने वाली महिलाओं के लिए अथॉरिटी ने बड़ा फैसला लिया है. अब हर कंपनी को अपने परिसर में महिला कर्मचारियों के छोटे-बच्चों के पालन-पोषण के लिए क्रेच बनाने होंगे. इसके लिए यमुना अथॉरिटी बिल्डिंग बायलाज में संसोधन करेगी. प्रत्येक कंपनी में क्रेच बनाना जरूरी होगा. इसके बाद ही कंपनी का नक्शा पास होगा और कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिल सकेगा. महिलाओं के हित में यह बड़ा कदम उठाने वाला नोएडा अथॉरिटी पहला सरकारी निकाय है.
यमुना अथॉरिटी के अंडर आने वाले एरिया में बड़े पैमाने पर उद्योग लग रहे हैं. टॉय सिटी, एपेरेल पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क स्थित कंपनियों में महिला कर्मचारियों की संख्या बहुत ज्यादा है. कंपनियों में बच्चों के रखने की सुविधा न होने के कारण बहुत सी महिला कर्मचारियों को नौकरी छोड़कर बच्चे की देखभाल के लिए घर बैठना पड़ता है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ता है. अब इसी समस्या को दूर करने के लिए यमुना अथॉरिटी कंपनी मैनेजमेंट के लिए क्रेच बनाना अनिवार्य करने जा रही है.
यमुना अथॉरिटी के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह का कहना है कि कि टॉय सिटी और एपेरेल पार्क में सबसे अधिक संख्या में महिला काम करती हैं. महिलाओं को छोटे-छोटे बच्चों की देखभाल के लिए कम से कम तीन साल तक घर रहना पड़ जाता है. महिलाओं को बच्चों के लालन-पालन में कोई परेशानी न हो और उनकी जॉब भी न छूटे, इसके लिए यमुना अथॉरिटी एरिया में बनने वाली कंपनियों में क्रेच बनाने अनिवार्य होंगे. क्रेच में कंपनियों को हर जरूरी सुविधा उपलब्ध करानी होगी.
यमुना अथॉरिटी का क्षेत्रफल अब करीब 3,000 हजार वर्गकिलोमीटर हो गया है. इसमें गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, आगरा और हाथरस जिलों के 1,242 गांव भी शामिल हैं. आने वाले समय में इन गांवों की जमीनों पर अथॉरिटी विकास योजनाएं लेकर आएगा. इससे यहां खूब औद्योगिक विकास होगा और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे.
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