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सोम प्रदोष व्रत आज, पूजा में जरूर करें ये काम, भगवान शिव की होगी विशेष कृपा

नई दिल्ली(New Delhi)। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat ) भगवान शिव को समर्पित होता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 3 अप्रैल यानि आज है। 3 अप्रैल को सोमवार है, इसलिए इस प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) के नाम से जाना जाएगा। सोमवार का दिन भोलेशंकर को समर्पित होता है, जिस वजह से सोम प्रदोष व्रत का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता है। आइए जानते हैं चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की पूजा- विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट….

सोम प्रदोष व्रत 2023 शुभ मुहूर्त
तीन अप्रैल 2023 सोमवार को सुबह 6:24 पर सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त (Som Pradosh Vrat 2023 Shubh Muhurat) शुरू हो चुका है। और अगले दिन 4 अप्रैल 2023 दिन मंगलवार को सुबह 8:00 बजकर 5 मिनट तक है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से आपको पुण्य कई गुना ज्यादा मिलता है।

सोम प्रदोष व्रत 2023 पूजा मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार सोम पूजा मुहूर्त (Som Pradosh Vrat 2023 Puja Shubh Muhurat) 3 अप्रैल शाम 5:00 बजकर 55 मिनट से उसी दिन 7:30 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।


प्रदोष काल-
प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व (special significance) होता है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व (special significance) होता है। प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान पक्ष को भी लाभ होता है। इस व्रत को करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि
सोम प्रदोष व्रत में प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है।
सूर्यास्त से एक घंटे पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
संध्या के समय पुनः स्नान के बाद शुभ मुहूर्त में पूजन आरंभ करें।
गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें।
चांदी, तांबे के लोटे से शुद्ध शहद एक धारा के रूप में शिवलिंग पर अर्पित करें।
इसके बाद शुद्ध जल से 108 बार ॐ सर्व सिद्ध प्रदाये नमः मंत्र का जाप करते हुए अभिषेक करना चाहिए।
इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप करना चाहिए।
इसके बाद विधि पूर्वक पूजन और आरती करें।

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के उद्देश्‍य से पेश की गई है हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.

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