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दक्षिण कोरिया की अनोखी परंपरा, पहली मुलाकात में पूछी जाती है उम्र, यह है वजह

नई दिल्‍ली । दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अनोखी परंपराएं (unique traditions) हैं। एशिया महाद्वीप (asia continent) में एक देश ऐसा भी है जहां रिवाज बेहद अनोखे हैं, खासकर उम्र (Age) को लेकर। यहां बच्चा पैदा (baby born) होते ही एक साल का हो जाता है और दो दिन बाद 2 साल का। यहां अगर आप पहुंच गए तो पहली ही मुलाकात में ही उम्र पूछी जाती है। उम्र की गिनती के तरीके बेहद अनोखे हैं। उम्र के हिसाब से बातचीत करने का सलीका बदल जाता है। इतना ही नहीं शराब पीने या सेना में भर्ती के लिए उम्र एक साल कम कर दी जाती है। कोरोना महामारी में टीकाकरण के वक्त जब भ्रम की स्थिति पैदा हुई तो सरकार चेती और अब अगले साल उम्र को लेकर नये नियम लागू किये जाएंगे।

दक्षिण कोरिया (South Korea) में अनोखी परंपराएं और रिवाज हैं। दक्षिण कोरियाई लोगों को जन्म के समय एक वर्ष का माना जाता है। साथ ही, नये साल के दिन सामूहिक रूप से उनकी उम्र एक वर्ष और बढ़ जाती है, भले ही उनका जन्मदिन कुछ भी हो। सामान्य शब्दों में कहें, तो अगर किसी बच्चे का जन्म 30 दिसंबर को होता है, तो उसकी उम्र उसी दिन एक वर्ष हो जाएगी। इसके अगले दिन 1 जनवरी को उसकी उम्र एक वर्ष और बढ़ जाती है।


इसके अलावा, पारंपरिक रूप से उम्र की गिनती का एक तरीका यह भी है कि जन्म के समय बच्चे की उम्र शून्य वर्ष मानी जाती है, लेकिन नये वर्ष पर उसकी उम्र में एक साल जुड़ जाता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो 31 दिसंबर को जन्म लेने वाला बच्चा एक दिन बाद ही एक साल का हो जाता है। इसे ‘कैलेंडर वर्ष’ तरीका कहा जाता है।

शराब पीने में घटा देते हैं एक साल उम्र
कानूनी और अन्य कागजी मकसद से, दक्षिण कोरियाई लोगों ने उम्र की गिनती के लिए 1962 से अंतरराष्ट्रीय आयु प्रणाली का इस्तेमाल शुरू किया। यह उम्र की गिनती करने का तीसरा तरीका है। हालांकि, जब शराब पीने, धूम्रपान करने या सेना में भर्ती होने के लिए कानूनी उम्र बताने की जरूरत होती है, तो वे ‘कैलेंडर वर्ष’ तरीके का इस्तेमाल करते हैं। इसके तहत, मौजूदा वर्ष से जन्म के वर्ष को घटाकर उम्र की गिनती की जाती है।

कोरोना टीकाकरण के वक्त हुआ भ्रम
अलग-अलग तरीके से उम्र की गिनती करने पर दक्षिण कोरियाई लोगों को कोरोना टीकाकरण के दौरान भ्रम की स्थिति का सामना करना पड़ा। महामारी के दौरान टीका लगाने के लिए उम्र तय करने के दौरान कई बातें अस्पष्ट दिखीं। इन सब के बीच अधिकारियों को उम्मीद है कि अनिश्चितता के ये बादल जून 2023 में छंट जाएंगे, क्योंकि इसके बाद देश में आधिकारिक दस्तावेजों पर सिर्फ अंतरराष्ट्रीय आयु प्रणाली के मुताबिक जानकारी दर्ज की जाएगी।

कई लोगों ने इस बदलाव का समर्थन किया है। उन्हें खुशी है कि अचानक से उनकी उम्र एक या दो साल कम हो जाएगी। वहीं कई लोगों को इस बात से ज्यादा राहत मिली है कि अब असमंजस की स्थिति खत्म हो जाएगी।

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