इंदौर न्यूज़ (Indore News)

रोमानिया बार्डर पर सडक़ पर गुजारे दो दिन, तब पहुंचे अपने घर

  • यूक्रेन में पढ़ाई करने गए इंदौर के छात्र प्रणय राव आज सुबह लौटे इंदौर, बताई स्टूडेंट्स की समस्या

इंदौर। यूक्रेन में युद्ध शुरू होते ही कॉलेज ने क्लासेस (the college classes) बंद कर दीं और एक माह की छुट्टी घोषित कर दी। हमें अब घर आना था, लेकिन सभी एयरपोट्र्स बंद हो चुके थे। लोकल गाडिय़ां भी नहीं चल रही थीं। तब हम 16 छात्रों ने प्राइवेट टैक्सी (private taxi) की और तरनोपिल से रोमानिया की बॉर्डर तक पहुंचे। यहां रोमानिया में प्रवेश के लिए दो दिन सडक़ पर ही गुजारे। इसके बाद रोमानिया में प्रवेश मिला। रोमानिया से दिल्ली होते हुए आज इंदौर पहुंचे हैं। यह सबकुछ एक भयावह अनुभव जैसा है।

यह बात आज सुबह यूक्रेन से इंदौर लौटे छात्र प्रणय राव (Student Pranay Rao returned to Indore) ने ‘अग्निबाण’ को बताया कि वह पांच सालों से यूक्रेन के तरनोपिल में एमबीबीएस (MBBS in Tarnopil) की पढ़ाई कर रहा है। युद्ध की स्थिति बनने पर जब कॉलेज बंद हुए और हमें भारत वापस आना था तो निकलने का कोई रास्ता नहीं था। वहां हम भारतीय छात्रों ने टैक्सी से रोमानिया जाने का फैसला लिया। सफर को लेकर मन में डर भी था, लेकिन कोई और रास्ता भी नहीं था। हम 24 को तरनोपिल से निकलकर रोमानिया बॉर्डर पर पहुंचे थे। वहां पहुंचने पर देखा पहले से करीब दो हजार छात्र रोमानिया में प्रवेश के लिए खड़े थे। हम भी उन्हीं में शामिल हो गए। वहां न तो रुकने की व्यवस्था थी न खाने-पीने की। कड़ाके की ठंड में हमने दो दिन बॉर्डर पर ही बिताए। इसके बाद हमें रोमानिया में प्रवेश मिला। हमारे प्रवेश के कुछ देर बाद ही अनियंत्रित होती भीड़ को काबू में करने के लिए रोमानिया की सेना ने हवाई फायर भी किए।


पड़ोसी देशों ने खोली मदद की बॉर्डर… रोमानिया पहुंचने पर माहौल बदला
प्रणय ने बताया कि रोमानिया में प्रवेश करते ही सबकुछ बदल चुका था। रोमानिया के स्थानीय लोग खासकर वहां पर रह रहे भारतीय यूक्रेन से आने वाले सभी लोगों के स्वागत और मदद के लिए खड़े थे। वहां लोगों ने खाने से लेकर कपड़े, जूते, बैग तक हमें उपलब्ध करवाए। हम यहां बने रेस्क्यू कैंप में दो दिन रहे। यहां लोग बहुत ही मददगार थे। इसके बाद भारतीय दूतावास द्वारा गाडिय़ों की व्यवस्था करते हुए हमें 28 फरवरी को बुखारेस्ट लाया गया, जहां दो दिन रहने के बाद कल सुबह वहां से फ्लाइट से हम दिल्ली पहुंचे। वहां दिल्ली स्थित मध्यांचल में ठहराया गया और राज्य शासन के खर्च पर ही आज सुबह की विस्तारा की फ्लाइट से हम इंदौर पहुंचे। यूक्रेन से लौटने वालों में इंदौर के महालक्ष्मी नगर निवासी शाश्वत डोडे शामिल हैं, जो यूक्रेन के ओडेसा की एक यूनिवर्सिटी में पांच साल से पढ़ रहे हैं।

शाश्वत ने कल शाम बुखारेस्ट से नई दिल्ली के लिए उड़ान भरी, जो देर रात नई दिल्ली पहुंची। आज दोपहर या शाम तक शाश्वत इंदौर आ सकते हैं। इससे पहले इंदौर की दो बहनें आयुषी राय और ऐश्वर्या राय भी 23 फरवरी को ही लौट आई थीं। दोनों बहनों की यूनिवर्सिटी में अब दो हफ्ते की छुट्टी है।

दो देशों का वीजा लेना पड़ा और फिर पहुंचे फ्लाइट तक मोलडोवा और रोमानिया के लोगों ने बच्चों की दिल खोलकर मदद की कल इंदौर पहुंचने वाले शाश्वत के पिता नरेंद्रसिंह डोडे ने बताया कि चार दिन के सफर और दो देशों का वीजा लेने के बाद शाश्वत कल शाम बुखारेस्ट से नई दिल्ली की उड़ान ले सका। तनाव बढऩे पर शाश्वत सहित सात दोस्त मिलकर दूसरे देश की बॉर्डर की ओर बढ़े। सबसे अच्छी बात ये रही कि मोलडोवा और रोमानिया के लोग बच्चों की दिल खोलकर मदद कर रहे हैं। वहां के सक्षम लोगों ने अपने घर बच्चों के रहने के लिए खोले। इतना ही नहीं, अपनी गाडिय़ां भी बच्चों को हवाई अड्डों तक पहुंचाने के लिए दीं और बच्चों को खाना भी दिया। हालांकि देशों में प्रवेश के लिए बच्चों को दो बार वीजा लेना पड़ा। पहले मोलडोवा का सात दिन का वीजा मिला और फिर रोमानिया का वीजा।

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