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स्टडी में खुलासा: 50 के नीचे वाले ज्यादा हो रहे कैंसर का शिकार

नई दिल्ली (New Delhi)। कैंसर (cancer) को लेकर दुनियाभर में जारी शोध (worldwide research) के बावजूद अभी इसे असाध्य रोगों की श्रेणी से बाहर नहीं किया गया है। वहीं हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट डराने वाली है। इसके मुताबिक दुनियाभर में 50 की उम्र के नीचे के लोगों में कैंसर (cancer)के मामले तेजी से बढ़े हैं। बीते तीन दशकों में कैंसर के मामलों में कुल 79 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (oncology) ने अपने अध्ययन के आधार पर यह रिपोर्ट प्रकाशित की है।

इस रिपोर्ट में 2019 तक के आंकड़ों के शामिल किया गया है। इस हिसाब से 1990 से 2019 के बीच कैंसर के मरीज 18.2 करोड़ से बढ़कर 32.6 करोड़ हो गए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कैंसर से होने वाली मौत भी इन सालों में 28 फीसदी बढ़ गई है। दुनियाभर के 204 देशों में 29 तरह के कैंसर के मरीजों के बारे में आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।



भारत में क्या है कैंसर के मरीजों के बढ़ने की वजह
एक रिपोर्ट के मुताबिक नारायण हेल्थ के चेयरमैन डॉ. देवी शेट्टी ने बताया कि इन तीन दशकों में डायग्नोस्टिक टूल्स भी विकसित हुए हैं। इसके अलावा चिकित्सा सुविधाएं बढ़ी हैं। इस वजह से ज्यादा लोग जांच करवाते हैं। पहले बहुत कम ही लोग अस्पतालों तक पहुंच पाते थे। खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग जांच नहीं करवाते थे। उन्होंने कहा कि प्रदूषण, खानपान की आदत और फिजिकल ऐक्टिविटी की कमी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

एक दूसरी स्टडी में कहा गया है कि हाल में आए मामलों ज्यादातर केस 50 की उम्र के नीचे के हैं। प्रोस्टेट और विंडपाइप कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं। हर साल लगभग 2.28 फीसदी के दर से ये दोनों तरह के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं लीवर कैंसर के मामलों में कमी देखी गई है जानकारों का कहना है कि इसके बीछे हेपैटाइटिस बी का टीकाकरण हो सकता है जिसकी वजह से लीवर के कैंसर के मामले घट गए हैं। एक डॉक्टर का कहना है कि पाचन तंत्र में होने वाले कैंसर के केस भी बढ़ रहे हैं।

2030 तक कैंसर और विकराल रूप लेगा
ट्रेंड्स के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि अगले 10 साल में कैंसर का रूप और भी विकराल होगा। कैंसर से होने वाली मौतें 21 से 31 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। वहीं 40 साल की उम्र वाले रिस्क जोन में आ सकते हैं। जानकारों का कहना है कि कैंसर के पीछे जेनेटिक फैक्टर के अलावा रेड मीट और नमक, शराब, तंबाकू गुटखा की वजह से 50 साल से नीचे के उम्र वाले कैंसर का शिकार हो रहे हैं। साल 2022 में भारत में करीब 14.6 लाख कैंसर के केस पाए गए हैं। वहीं 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 15.7 लाख हो सकता है।

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