नई दिल्ली(New Delhi) । सरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve)से जुड़े एक मामले पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने बुधवार को कड़ा रुख (tough stance)अपनाया। अदालत ने एक किलोमीटर के दायरे में जारी(continue in scope) 60 से ज्यादा खदानों को बंद करने के आदेश जारी किए। साथ ही सरिस्का क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) के आसपास खदान की गतिविधियों को लेकर राजस्थान सरकार के रवैये पर भी नाराजगी जाहिर की।
याचिका पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एसवीएन भट्टी और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही थी। एमिकस क्यूरी के परमेश्वर ने अदालत को बताया कि CTH के एक किमी के दायरे में करीब 110 खदानें काम कर रही हैं। हालांकि, राजस्थान की तरफ से पेश हुए एएसजी ऐश्वर्य भाटी ने कहा कि 110 में से सिर्फ 68 खदानें ही सक्रिय हैं और बाकी को बंद हैं।
इसपर अदालत ने तत्काल प्रभाव से 68 खदानों को बंद करने के आदेश दिए। बेंच ने कहा, ‘हमारा फैसला साफ है। टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क या सेंचुरी की तुलना में ज्यादा ऊंचे स्थान पर है। जो भी सुरक्षा नेशनल पार्क या सेंचुरी को दी जाती है, वो अपने आप ही टाइगर रिजर्व पर लागू होती है, जिसे पहले ही अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत है।’
जस्टिस गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि जो भी गतिविधियां टाइगर रिजर्व के बफर जोन में जारी हैं, उन्हें कहीं और शिफ्ट करना होगा। इस दौरान उन्होंने तड़ोबा और मेलघाट टाइगर रिजर्व का भी उदाहरण दिया, जहां के सभी गांवों को शिफ्ट कर दिया गया है। अदालत ने कहा, ‘CTH के एक किमी दायरे में खदानों की गतिविधियां कैसे हो सकती है?’
उन्होंने कहा, ‘सुरक्षित किए गए स्थानों के एक किलोमीटर के भीतर कोई भी गतिविधि नहीं हो सकती है। इस मामले में CTH बफर जोन है, जिसे सरिस्का टाइगर रिजर्व को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया है।’ भाटी ने कोर्ट को बताया है कि राज्य ने पहले ही सरिस्का वाइल्डलाइफ सेंचुरी के क्षेत्र का विस्तार किया है और सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
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