– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री पिछले कई दशकों में कृषि कार्य की लागत तो बढ़ती रही, लेकिन उसके अनुरूप किसानों को लाभ दिलाने के पर्याप्त प्रयास नहीं किये गए। इससे किसानों का कृषि से धीरे-धीरे मोहभंग होता गया। गांवों से बेहिसाब पलायन इसका प्रमाण था। इसका मतलब था कि पिछली व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता थी। […]
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अनुबंध खेती में एमएसपी की आशंका
– प्रमोद भार्गव राजग सरकार ने कृषि सुधार के बहाने तीन विधेयक संसद से बिना किसी बहस के पारित करा लिए हैं। बहस नहीं होने के कारण विधेयकों की इबारत के गुण-दोष स्पष्ट रूप में सामने नहीं आ पाए हैं। इन विधेयकों को लेकर हरियाणा और पंजाब में किसान संगठन जबरदस्त एवं उग्र विरोध पर […]
कृषि सुधार पर बंद होनी चाहिए राजनीति
– प्रभुनाथ शुक्ल कृषि सुधार के तीन विधेयकों पर सड़क से लेकर संसद तक की राजनीति गरमा गई है। किसान एकबार फिर सियासी मोहरा बन गया है। किसान, कितना मुनाफे और घाटे में होगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन किसान हिमायती बनने के लिए संसद में जिस तरह माननीयों का दंगल देखने को मिला उसे […]