ब्‍लॉगर

जीवन-सौन्दर्य के लिए चाहिए संस्कृति संवर्धन

– गिरीश्वर मिश्र संस्कृति लोक-जीवन की सतत सर्जनात्मक अभिव्यक्ति का पुंज होती है जिसका इतिहास, साहित्य, शिक्षा, विविध कला रूपों, स्थापत्य, शिल्प तथा जीवन-शैली आदि के साथ घनिष्ठ संबंध होता है। संस्कृति को उन उदात्त जीवन मूल्यों के रूप में भी देखा जाता है जो आदर्श रूप में प्रतिष्ठित होते हैं और समाज की गतिविधि […]

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सदियों का इंतजार खत्म, अब लोक जीवन में रमे राम

– सियाराम पांडेय ‘शांत’ 1528 से चला आ रहा इंतजार खत्म हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमिपूजन कर राममंदिर निर्माण की औपचारिक शुरुआत कर दी। साथ ही अपना संकल्प भी जाहिर कर दिया- ‘राम काज कीन्हे बिना मोंहि कहाँ विश्राम।’ जो बात रामभक्त हनुमान ने मैनाक पर्वत से कही थी, वही बात देशवासियों से […]