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भगवान श्रीराम के जीवन में वनवासी

– प्रमोद भार्गव प्राचीन भारतीय संस्कृत ग्रंथों में ‘रामायण‘ जनमानस में सबसे ज्यादा लोकप्रिय ग्रंथ है। भारत के सामंत और वर्तमान संवैधानिक भारतीय लोकतंत्र में राम के आदर्श मूल्य और रामराज्य की परिकल्पना प्रकट अथवा अप्रकट रूप में हमेशा मौजूद रही है। अतएव रामायण कालीन मूल्यों ने भारतीय जनमानस को सबसे ज्यादा उद्वेलित किया है। […]

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आदिवासी, वनवासी या आर्य

– डॉ. मोक्षराज भारत की भोली जनता को बहकाना जितना सरल है उतना ही कठिन है उसे समझाना। अनेक चालाक व्यक्ति, संस्था या शत्रुराष्ट्र अपनी कुटिल योजना के द्वारा भारत के लोगों को भटकाते व भरमाते रहे हैं। फाह्यान, ह्नेनसांग तथा मैगस्थनीज ने भारत में प्रवास के दौरान भले ही यह स्वीकार किया था कि […]