देश मध्‍यप्रदेश

आध्यात्मिकता ही है भारतीय विचार प्रक्रिया का मूल: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि आध्यात्मिकता (Spirituality) ही भारतीय विचार प्रक्रिया का मूल तत्व (basic element of Indian thought process) है। हम मूलत: आध्यात्मिक हैं। सम्पूर्ण प्रकृति में परमेश्वर व्याप्त है। उसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महसूस किया जा सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार शाम को […]

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संसार को गति, प्रेरणा और प्रकाश देते हैं सूर्य

– हृदयनारायण दीक्षित भारतीय चिंतन में सूर्य ब्रह्माण्ड की आत्मा हैं। सूर्य सभी राशियों पर संचरण करते प्रतीत होते हैं। वस्तुतः पृथ्वी ही सूर्य की परिक्रमा करती है। आर्य भट्ट ने आर्यभट्टीयम में लिखा है, ‘‘जिस तरह नाव में बैठा व्यक्ति नदी को चलता हुआ अनुभव करता है, उसी प्रकार पृथ्वी से सूर्य गतिशील दिखाई […]

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पर्यावरण संरक्षण का भारतीय चिंतन

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री सद्गुरु योगी वासुदेव जग्गी का सेव सॉयल अभियान भारतीय चिंतन के अनुरूप है। हमारे ऋषि युगद्रष्टा थे। उन्होंने पर्यावरण के महत्व का वैज्ञानिक आधार प्रतिपादित किया था। जबकि उस समय हमारी पृथ्वी प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण थी। पर्यावरण पर कोई संकट नही था। फिर भी हमारे ऋषि हजारों वर्ष के भविष्य […]

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सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से प्रेरणा

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री भारतीय चिंतन व संस्कृति में मानव कल्याण की कामना की गई। इसमें कभी संकुचित विचारों को महत्व नहीं दिया गया। समय-समय पर अनेक संन्यासियों व संतों ने इस संस्कृति के मूल भाव का सन्देश दिया। सभी ने समरसता के अनुरूप आचरण को अपरिहार्य बताया। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वाभिमान पर भी […]

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हिंदी में ही व्यक्त होता है भारतवर्ष

– हृदयनारायण दीक्षित ध्वनि का रूप नहीं होता। संसार रूपों से भरापूरा है। समाज रूप को नाम देता है। नाम शब्द ध्वनि होते हैं। भारतीय चिंतन में शब्द को ब्रह्म कहा गया है। प्रत्येक शब्द का अर्थ होता है। प्रत्येक शब्द ध्वनि होता है। ध्वनि के रूप का अर्थ निश्चित हो जाने के बाद शब्द […]

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भारतीय चिंतन में शब्द को कहा गया है ब्रह्म

– हृदयनारायण दीक्षित एक संसार प्रत्यक्ष है। यह सबको दिखाई पड़ता है। दूरी की बात अलग है। दूरी के अनुपात में सभी वस्तुएँ किसी-न-किसी रूप में दिखाई पड़ती हैं। भारतीय चिंतन में शब्द को ब्रह्म कहा गया है। ब्रह्म और अस्तित्व पर्यायवाची हैं। हम प्रत्यक्ष अस्तित्व का बड़ा भाग देख लेते हैं। उससे भी बड़े […]

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एकपक्षीय विचार नहीं भारतीय चिंतन

– हृदयनारायण दीक्षित सभी मनुष्य जनहितकारी राजव्यवस्था और समाज व्यवस्था में रहना चाहते हैं। ऋग्वेद (9.111.10 व 11) में सोम देवता से प्रार्थना है कि जहाँ जीवन की सारी आवश्यकताएं पूरी होती हों, तृप्तिदायक अन्न हों, जहाँ आनन्द, मोद, मुद व प्रमोद है, जहाँ विवस्वान का पुत्र राजा है, जहाँ विशाल नदियाँ बहती हैं। आप […]