कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीअत से उछालो यारो। दुष्यंत कुमार के इस मशहूर शेर को बैतूल के चार अज़ीज़ दोस्तों ने जि़ंदगी का मक़सद बनाया और उस मक़सद को जनपरिषद जैसे इंटरनेशनल इदारे की शकल दे दी। सन 1988 में रामजी श्रीवास्तव बैतूल में दैनिक भास्कर का ब्यूरो देखते […]