खरी-खरी

एक सिकंदर… घर के अंदर…

18 वर्षों की सत्ता के मुखिया का 18 दिनों में पराभाव… शिवराजजी का गम यह है कि जो लोग उनके आगे-पीछे घूमते थे…उनके पैरों में शीश नवाते थे…उन्हें सर-माथे पर बिठाते थे…उनकी जय-जयकार के नारे लगाते थे… बैनर-पोस्टरों में वो ही नजर आते थे…आज उनका चेहरा तो चेहरा, नाम तक गायब हो गया…सालों का मुखिया […]

खरी-खरी

अंधेरे में तीर… दोनों ही दल मीर…

एक सप्ताह के लिए दोनों ही दलों की सरकार… न नतीजों की दरकार और न मतगणना का इंतजार… कमलनाथजी कमलछाप अधिकारियों की सूचियां बनवा रहे हैं… शिवराजजी तंत्र-मंत्र, पूजा-अनुष्ठान… प्रभाव-दबाव का इस्तेमाल कर अपनी कुर्सी पक्की करने की जुगाड़ लगा रहे हैं… दोनों ही दलों के नेता सवा सौ पार के नारे लगा रहे हैं… […]