ब्‍लॉगर

भारत का बढ़ता वैश्‍विक प्रभाव और श्रीगुरुजी

श्रीगुरुजी पुण्‍य स्‍मरण : माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर डॉ. मयंक चतुर्वेदी विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात्। सं बाहुभ्यां धमति सं पतत्रैर्द्यावाभूमी जनयन्देव एकः॥ यह वेदमंत्र जब भी पढ़ने में आया या सुनने में, हर बार इसकी अर्थ ध्‍वनि लम्‍बे समय तक उस असीम परमात्‍मा के बारे में अथवा उस विराट प्रकृति पुरुष के चिंतन में विवश करती […]