शाम दिलकश रात माहवश, सुबह गुलवश, याद जन्नत में भी आएंगे मज़े भोपाल के। ये शायर बद्र वास्ती साब का बेहद मक़बूल शेर है। आइये आज इनसे आपकी मुलाकात करवाते हैं। इस एक शेर में उनकी भोपाल से लगावटऔर वाबस्तगी ज़ाहिर हो रही है। बद्र वास्ती को हम कसीर सलाहियत (बहुमुखी प्रतिभा) का स्टाइल स्टेटमेंट […]