भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

बद्र वास्ती: बाकमाल शायर, एक्टर और बेहद कामयाब प्रोफेशनल एंकर

शाम दिलकश रात माहवश, सुबह गुलवश,
याद जन्नत में भी आएंगे मज़े भोपाल के।

ये शायर बद्र वास्ती साब का बेहद मक़बूल शेर है। आइये आज इनसे आपकी मुलाकात करवाते हैं। इस एक शेर में उनकी भोपाल से लगावटऔर वाबस्तगी ज़ाहिर हो रही है। बद्र वास्ती को हम कसीर सलाहियत (बहुमुखी प्रतिभा) का स्टाइल स्टेटमेंट कह सकते हैं। बद्र मियां बेहतरीन शायर हैं। लाजवाब प्रोफेशनल एंकर हैं। कमाल के थियेटर और फि़ल्म एक्टर हैं। बाकी स्क्रिप्ट राइटर और ट्रांसलेटर तो वे हैं ही। कुल मिलाके भोपाल और भोपालियों के लिए ये नाम अदब, शेरो सुखन, मुशायरों, नशिस्तों, हर छोटे-बड़े फंक्शन की जानदार एंकरिंग और रंगमंच की सटीक अदाकारी के लिए बड़े एहतराम के साथ लिया जाता है। गोया के आप इन्हें आप शायर से लेके एंकर तक जिस किरदार में भी देखेंगे तो इनके मुरीद हो जाएंगे। माशा अल्लाह इनकी छह फीट लंबी जानदार क़द-कामत वाली दिखलोट पर्सनाल्टी के तमाम लोग शैदाई हैं। रविन्द्र भवन से लेके कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर तक और समन्वय भवन से लेके शहीद भवन तक इनके हुनर के लोग दीवाने हैं। अपनी खनकदार आवाज़, सही तलफ्फ़़ुज़, जानदार वॉइस मॉड्यूलेशन और बहुत सटीक शब्दों के चयन से जनाब हर प्रोग्राम में जान डाल देते हैं। तभी तो बद्र वास्ती कहते हैं- इरादों और उम्मीदों को कभी मरने नहीं देना, वहीं से राह मिलती है, जहां रास्ता नहीं मिलता। पुराने भोपाल के चौकी इमामबाड़ा इलाके में इनका बचपन परवान चढ़ा। नूरमहल, जुमेराती और अलीगंज की गलियों और हवामहल की हवाओं के हमराह जवान हुए बद्र वास्ती के घर शुरु से ही पढऩे लिखने और अदब का माहौल रहा। घर मे सबसे पहले इन्होंने उर्दू ज़बान सीखी। लड़कपन से ही मुशायरों और नशिस्तों में जाने का शौक इन्हें खुद शायर बनने की तरफ ले गया।


मरहूम इशरत क़ादरी साब इनके उस्ताद थे, जो इनके शेरों की इस्लाह कर दिया करते। बद्र वास्ती ने शेरी भोपाली, वकील भोपाली, शाहिद भोपाली और कैफ साहब के साथ मंच साझा किया। आज ये मुल्क भर के कई शहरों के मुशायरों में शिरकत करते हैं। कई मुशायरों की निज़ामत (संचालन) भी ये अक्सर करते हैं। इनकी शायरी की पहली किताब ‘तो मैं कहां हूं’ बड़ी मक़बूल हुई। मुल्ला रमुजी की गुलाबी शायरी का हिंदी तर्जुमा भी इन्होंने किया। प्रकाश झा की फि़ल्म राजनीति की शूटिंग के लिए भोपाल आईं अभिनेत्री कैटरीना कैफ को उर्दू लफ्ज़़ों की अदायगी बद्र वास्ती ने सिखाई थी। प्रकाश झा की कई फिल्मों और आश्रम वेब सीरीज में भी इन्होंने किरदार निभाए हैं। अभी तक सैकड़ों नाटकों में इन्होंने बेहतरीन अदाकारी की है। राजीव वर्मा के प्ले ‘वक्त के कराहते रंग’ में इनका लीड रोल है। ‘अनारकली’ में इनका निभाया अकबर का रोल भी याद किया जाता है। डगर पनघट की में इन्होंने अमीर खुसरो का किरदार किया था। रफी साब की आवाज़ में गाने वाले सिंगर अनवर, मो.अज़ीज़, शब्बीर कुमार के अलावा, अहमद हुसैन मोहम्मद हुसैन, सुरेश वाडकर जैसी हस्तियों के साथ भी बद्र वास्ती प्रोग्राम कन्डक्ट कर चुके हैं। दैनिक भास्कर और नव भारत सहित कई अख़बारों में आपने सहाफत भी की। विश्वरंग के इंटरनेशनल मुशायरे की निज़ामत ये 2019 से लगातार कर रहे हैं। भोत मुबारक हो साब…आप इसी तरह से भोपाल का नाम रोशन करते रहिए।

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