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दिल्ली सरकार के वित्त पोषित कॉलेजों में फिर से शिक्षकों के वेतन का संकट


नई दिल्ली। दिल्ली सरकार (Delhi government) द्वारा 100 प्रतिशत अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों (Funded colleges) में अनुदान को लेकर बार-बार विलंब होने से शिक्षकों (Teachers) के सामने वेतन का संकट (Salary crisis) खड़ा हो गया है।


डूटा का कहना है कि अनुदानों को बार-बार रोकना और वेतन में देरी अन्यायपूर्ण और शिक्षकों पर क्रूर हमला है। अनुदान में हो रही देरी को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक दिल्ली के मुख्यमंत्री का विरोध कर रहे हैं।डूटा के अध्यक्ष राजीब रे का कहना है कि सीएम अरविंद केजरीवाल ने मार्च 2021 में प्रधानाध्यापकों से किए गए 28 करोड़ जारी करने के अपने वादे को भी पूरा नहीं किया है। इस कारण शिक्षकों को अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
त्योहारी सीजन नजदीक है, लेकिन कर्मचारियों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना भी मुश्किल हो रहा है। डूटा के अध्यक्ष राजीब रे के मुताबिक यदि वेतन तुरंत जारी नहीं किया जाता है तो इस अन्यायपूर्ण गैर-अनुदान के खिलाफ डूटा आंदोलन को और तेज करेगा।

डूटा ने 15 सितंबर 2021 को यूजीसी के साथ और 20 अक्टूबर को नव नियुक्त वीसी, प्रोफेसर योगेश सिंह के साथ, इन 12 डीयू कॉलेजों का मुद्दा उठाया था। वीसी व यूजीसी से तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है। डूटा ने यूजीसी से इन कॉलेजों के अधिग्रहण की मांग भी की है।
दिल्ली सरकार द्वारा पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों की ग्रांट रिलीज कराने की मांग दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भी की गई है। दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में से कई कॉलेजों में दो महीने से ग्रांट रिलीज नहीं की है। इससे शिक्षकों व कर्मचारियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षक संगठनो ने दिल्ली सरकार से कहा है कि उनके इन कॉलेजों को दीपावली पर्व से पूर्व ग्रांट रिलीज की जाए ताकि शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारी दीपावली का त्यौहार मना सकें।

दिल्ली विश्वविद्यालय के टीचर्स और नॉन टीचिंग ने इस विषय पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को लिखा है कि दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में से कुछ कॉलेजों में दो महीने से शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन समय पर न मिलने से उनके सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया है, वहीं दूसरी ओर कोविड-19 के चलते शिक्षक कर्मचारी हले ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। जो ग्रांट इन्हें मिलती है उसमें शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का ही भुगतान हो पाता है बाकी शिक्षकों की पेंशन, मेडिकल बिल ,सातवें वेतन आयोग के एरियर आदि के बिल पेंडिंग है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों को दिल्ली सरकार की ओर से जो ग्रांट दी जा रही है उसमें मात्र शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का भुगतान बमुश्किल हो पाता है। इन कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स, कन्ट्रक्चुल कर्मचारी भी है जिन्हें 12 से 15 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं, लेकिन पिछले दो महीने से कुछ कॉलेजों में सैलरी नहीं मिली है। दिल्ली जैसे महानगर और दूसरी तरफ कोविड-19 जैसी बीमारी में भी ये कर्मचारी बिना वेतन कार्य कर रहे हैं।

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