इंदौर न्यूज़ (Indore News)

भाजपा में नए चेहरे पर दांव महंगा पड़ा, हार-जीत का अंतर घटेगा


इंदौर। संजीव मालवीय
भाजपा (BJP) को नए चेहरे (new faces) पर दांव लगाना महंगा पड़ सकता है। जिस हिसाब से मतदान (voting) हुआ है उससे नहीं लग रहा है कि दोनों ही प्रत्याशियों (candidates) में से कोई जीतता है तो उसकी जीत का आंकड़ा लाखों में जा सकता है।
कांग्रेस (Congress) प्रत्याशी संजय शुक्ला ( Sanjay Shukla) ने भाजपा (BJP)   के पुष्यमित्र भार्गव (Pushyamitra Bhargava) से जिस प्रकार से कड़ा मुकाबला किया है उससे कांग्रेस को जहां जीत की उम्मीद है, वहीं अभी भाजपा भी अगर जीतती है तो उसकी लीड बहुत ही कम होगी। पिछले चार चुनावों को देखा जाए तो दो बार भाजपा ने नए चहरों को उतारा था और भाजपा की लीड कम हुई। जब प्रत्यक्ष चुनाव शुरू हुए थे, तब भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) करीब 1 लाख वोटों से जीतकर महापौर बने थे। उसके बाद आम जनता के लिए नया चेहरा उमाशशि शर्मा (Umashshi Sharma) के रूप में लाया गया, लेकिन वे 21 हजार के आसपास वोटों से जीतीं। उनके सामने भी पहचान का संकट था। तीसरे चुनाव में कृष्णमुरारी मोघे (Krishnamurari Moghe) को खड़ा किया गया। मोघे संगठन के लिए नए नहीं थे, लेकिन आम लोगों में उनकी पहचान को लेकर संकट था। उनकी हालत तो और भी कमजोर हो गई और बमुश्किल वे 3292 वोटों से जीत पाए। लक्ष्मणसिंह गौड़ के दिवंगत होने के बाद मालिनी गौड़ (Malini Gaud) के लिए शहर संवेदनशील था और वे विधायक चुन ली गई थीं। उनके सामने खड़ी अर्चना जायसवाल कमजोर थीं, जिन्हें उन्होंने करीब ढाई लाख वोट से हराया था। पुष्यमित्र के सामने भी पहचान का बड़ा संकट रहा। अगर संगठन ने अपना काम ईमानदारी से भी किया है तो उनकी जीत तो होगी, लेकिन लीड ज्यादा नहीं रहेगी।


कम मतदान को लेकर भाजपाई सकते में, कांग्रेसी अपने पक्ष में बताने में लगे
शहर में नगर निगम चुनाव में मतदान के कम आंकड़ों को लेकर भाजपाई सकते में हैं। कम मतदान किसके पक्ष में जाएगा इस बारे में नेता आकलन कर रहे हैं, जबकि कांग्रेसी बेहद उत्साहित हैं और जीत को अपने पक्ष में बता रहे हैं।
इस बार भाजपा (BJP)  में जिस तरह टिकट वितरण को लेकर विवाद हुए और बाद में उसके बागी मैदान में खड़े हो गए, इसको लेकर कुछ सीटें भाजपा की झोली से खिसकेंगी यह तय है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पार्षद बढ़ेंगे यह भी तय है। इंदौर में मात्र 60.88 प्रतिशत वोटिंग होने का एक बड़ा कारण मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम कटना बताया जा रहा है, पर कम वोटिंग किसका नुकसान करेगी इसेे लेकर खुलकर कोई नहीं बोल रहा है। कांग्रेस महापौर प्रत्याशी संजय शुक्ला का कहना है कि मतदान उनके पक्ष में हुआ है और 17 जुलाई को सब स्पष्ट हो जाएगा। दूसरी ओर भाजपाई सकते में हैं, क्योंकि पिछले चुनाव को छोड़ दिया जाए तो इसके पहले के दो निगम चुनाव में कम वोटों से भाजपा जीती है।

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