डेस्क: ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चीफ सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने मंगलवार (6 अगस्त) को एनएसए अजीत डोभाल और केंद्रीय मंत्री रिजिजू से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने अलग दरगाह बोर्ड बनाने की भी मांग की. चिश्ती का ये बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में बदलाव के लिए संसद में एक विधेयक लाने की योजना बना रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल ने मंगलवार को वक्फ बोर्डों की शक्तियों पर अंकुश लगाने के केंद्र के कदम का समर्थन किया है. इस दौरान एआईएसएससी के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि विधेयक लंबे समय से लंबित पड़ा हुआ था और देश भर की दरगाहें इस कदम का समर्थन कर रही हैं.
नसरुद्दीन ने आगे कहा, “ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन का पुरजोर समर्थन करती है. उन्होंने कहा कि इस बोर्ड में बदलाव की सख्त जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि काउंसिल लंबे समय से इसकी मांग कर रही है.
एआईएसएससी के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने संशोधन के तहत एक अलग दरगाह बोर्ड की मांग की. उन्होंने कहा, “दरगाहें इस फैसले का समर्थन कर रही हैं. इसमें बदलाव की जरूरत है क्योंकि दरगाहें सबसे बड़ी पीड़ित हैं. नसरुद्दीन चिश्ती ने आगे कहा कि “मौजूदा वक्फ अधिनियम में दरगाहों का कोई जिक्र नहीं है. वक्फ बोर्ड दरगाह की परंपराओं को मान्यता नहीं देते हैं, क्योंकि हमारी कई परंपराएं शरीयत में नहीं हैं, इसलिए हम एक अलग दरगाह बोर्ड की मांग करते हैं.
इस्लामिक संस्था के प्रमुख ने सैयद नसरुद्दीन चिश्ती कहा, “यह विधेयक पारदर्शिता लाएगा क्योंकि बहुत ज़्यादा भ्रष्टाचार फैला हुआ है और इसका समाधान होना चाहिए. कुछ प्रावधान एक-दूसरे से टकरा रहे हैं, उन्हें सुलझाया जाना चाहिए. हम चाहते हैं कि दरगाहों की स्थिति को वक्फ अधिनियम में परिभाषित किया जाए.
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