उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

गोपाल मंदिर में लगा दरवाजा सोमनाथ मंदिर का जिसे गजनवी लूटकर ले गया था

  • सिंधिया शासन काल में काबुल से लाया गया दरवाजा और फिर लगाया गया गोपाल मंदिर में-सभा में यह जानकारी दे डाली मुख्यमंत्री मोहन यादव ने

उज्जैन। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भारतीय इतिहास की काफी जानकारी है और स्वागत के बाद हुई सभा में उन्होंने ऐसी बात बताई जिसे सुनकर हजारों लोग चोक गए। उज्जैन के प्राचीन गोपाल मंदिर के इतिहास के बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और उज्जैन के दक्षिण विधायक डॉ. मोहन यादव ने अपनी स्वागत रैली के बाद मंच से भाषण में कही। उन्होंने कहा कि मुगल शासकों द्वारा भारत पर आक्रमण कर यहाँ के मंदिरों को तोडऩे और यहाँ की संपत्ति को लूटपाट के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि धार्मिक नगरी उज्जैन के गोपाल मंदिर पर लगा दरवाजा यहाँ के राजा महादजी सिंधिया मोहम्मद गजनवी से लेकर आए और इसे गोपाल मंदिर में लगवाया। यह दरवाजा आज भी लगा हुआ है।


डॉ. यादव ने छत्रीचौक पर आमसभा के दौरान स्थानीय लोगों को बताई तो वह भी चौंक गए उज्जैन में रहने वाले लोगों को भी इस इतिहास के बारे में बहुत कम पता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि गोपाल मंदिर के प्रांगण में लगा दरवाजा भी एक इतिहास को दर्शाता है, क्योंकि जब मोहम्मद गजनवी ने सोमनाथ का मंदिर तोड़ा तो वहाँ का सारा माल लूटकर ले गया था, उस समय हम कमजोर थे लेकिन महादजी सिंधिया उज्जैन के राजा हुए तो वह तलवार के बल पर अफगानिस्तान के काबुल से सोमनाथ से लूटा गया चांदी का यह दरवाजा उज्जैन ले आए थे और उन्होंने इसे उज्जैन के गोपाल मंदिर पर लगा दिया था। अपना यह पुराना इतिहास हमें अहसास करवाता है। इतिहास की जानकार इस दरवाजे और मंदिर के बारे में बताते हैं कि सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट का प्रसिद्ध द्वारकाधीश गोपाल मंदिर धर्म और इतिहास की पुरातन धरोहर और वैभव को समेटे हुए है। मंदिर का मुख्य द्वार पन्ने से निर्मित है। यह अद्भुत, अति सुंदर द्वार (दरवाजा) सोमनाथ के मूल मंदिर का है। महमूद गजनी इसे लूटकर अपने साथ ले गया था। सिंधिया राजवंश ने इसे प्राप्त कर गोपाल मंदिर में लगाया। उज्जैन के हृदय स्थल छत्री चौक के सामने सन् 1909 में महाराजा दौलतराव सिंधिया की महारानी बायजाबाई सिंधिया ने गोपाल मंदिर का निर्माण करवाया था। मराठा शैली में निर्मित यह मंदिर आज भी सिंधिया राजवंश की गौरवगाथा कह रहा है। मंदिर का मुख्य द्वार चांदी का है। इसकी बनावट में तांबे का भी उपयोग हुआ है जिस पर सोने की पॉलिश की गई है। यह द्वार सोमनाथ के मूल मंदिर का है। सन् 1025 में महमूद गजनवी इसे लूटकर अपने साथ ले गया था। 1750 के आसपास इसे अहमद शाह अब्दाली ने लूट लिया था। इसके बाद यह द्वार मराठा शासक महादजी सिंधिया के पास आ गया।

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