इंदौर न्यूज़ (Indore News) जिले की खबरें

जमीनों का कब्जा लेने पहुंचे प्राधिकरण को किसानों ने उलटे पांव लौटाया

मामला सुपर कॉरिडोर से लेकर पूर्वी व पश्चिमी रिंग रोड की जमीनों पर हुए हाईकोर्ट आदेश का, सुप्रीम कोर्ट का एक और आदेश निकल आया

इंदौर। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने सुपर कॉरिडोर की योजना 139 के अलावा योजना 135  और 94 में शामिल पूर्वी और पश्चिमी रिंग रोड की जमीनों को लेकर फैसला दिया था, जिसके चलते एक हजार करोड़ से अधिक की जमीन प्राधिकरण को हासिल हो गई, लेकिन अभी जब प्राधिकरण के अधिकारी-कर्मचारी इन जमीनों पर कब्जा लेने पहुंचे तो उनके मालिकों और किसानों ने उल्टे पांव लौटा दिया। दरअसल एक नया सुप्रीम कोर्ट का आदेश इन जमीन मालिकों ने प्राधिकरण को सौंपा, जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट आदेश के बाद तीन महीने तक उस पर अमला ना किया जाए, जिसके चलते प्राधिकरण इन जमीनों का कब्जा हासिल कर फिलहाल भूखंडों के टेंडर जारी नहीं कर पाएगा। इस मामले में विधि विशेषज्ञों की राय भी ली जा रही है, वहीं जरूरत पड़ी तो प्राधिकरण अदालती दरवाजा भी खटखटाएगा। वैसे तो सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 24 (2) की जो स्पष्ट व्याख्या कर दी है उसके बाद अब प्राधिकरण ही अंतत: जमीन मालिक रहेगा।


इंदौर विकास प्राधिकरण की मुसीबत नया भूमि अधिग्रहण कानून बना, जिसके चलते उसकी तमाम योजनाएं उलझ गई, क्योंकि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को इस नए कानून में जटील कर दिया गया। हालांकि अब प्राधिकरण इन योजनाओं को लैंड पुलिंग एक्ट के तहत लागू कर रहा है, जिसमें नकद मुआवजे की बजाय 50 फीसदी जमीन वापस उसके मालिक को लौटा दी जाएगी। वहीं भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 24 (2) की स्पष्ट व्याख्या भी कुछ समय पूर्व सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कर दी, जिसके चलते योजना 140 सहित अन्य योजनाओं में शामिल हजारों करोड़ की निजी जमीनों पर संस्थाओं, किसानों या अन्य रसूखदारों का अधिकार समाप्त हो गया और अब वे सिर्फ मुआवजे के ही पात्र रहेंगे। इंदौर हाईकोर्ट ने अभी पिछले दिनों सुपर कॉरिडोर की योजना 139 में शामिल कुमेर्डी की 18 एकड़ जमीन के संबंध में लगी आधा दर्जन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट फैसले के मद्देनजर ही खारिज कर दिया। वहीं योजना 135 और 94 में शामिल पूर्वी व पश्चिमी रिंग रोड की भी एक हजार करोड़ से अधिक की जमीनों के संबंध में भी हाईकोर्ट ने जमीन मालिकों की याचिकाएं खारिज कर दी, जिसके चलते प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर जाकर इन जमीनों का कब्जा लेने, अतिक्रमण हटाने और मार्किंग कर भूखंडों के टेंडर जारी करने की तैयारी में जुट गए, लेकिन किसानों और जमीन मालिकों ने प्राधिकरण की कार्रवाई का विरोध किया और हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट के कुछ अन्य आदेश भी दिखाए, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का एक नया आदेश भी प्राधिकरण को मिला, जिसमें यह कहा गया कि इन याचिकाओं के संबंध में इंदौर हाईकोर्ट द्वारा जो फैसला दिया जाए उस पर तीन माह तक अमल ना किया जाए, जिसके चलते अब प्राधिकरण को नए सिरे से विधि विशेषज्ञों की राय लेने और जरूरत पडऩे पर फिर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है। हालांकि इन जमीनों के संबंध में अंतत: जीत प्राधिकरण की ही होना तय है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने धारा 24 (2) की स्पष्ट व्याख्या करते हुए जमीन मालिकों की याचिकाएं खारिज कर दी है।

Share:

Next Post

INDORE : 46 माह सरवटे बस स्टैंड पर फिर पहियों पर लौटी रौनक, सुबह से शुरू हुईं बसें

Wed Mar 23 , 2022
जानकारी के अभाव में कई यात्री नौलखा बस स्टैंड भी पहुंचे, सरवटे पर नई व्यवस्थाओं के कारण असमंजस में भी नजर आए यात्री इंदौर। इंदौर (Indore) को मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) सहित देश के प्रमुख शहरों से जोडऩे वाले सरवटे बस स्टैंड (Sarwate Bus Stand) पर 46 माह बाद आज सुबह से फिर रौनक लौट आई। […]