भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

मंत्रालय पहुंचीं हमीदिया की आग की ‘लपटें’

  • चिकित्सा स्वास्थ्य आयुक्त को बचाया, सचिव को हटाया

भोपाल। हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) के पीडियाट्रिक विभाग (Pediatric Department) में आगजनी की लपटें मंत्रालय (Ministry) तक पहुंच गई हैं। सरकार ने घटना के बाद चिकित्सा स्वास्थ्य सचिव (Medical Health Secretary) को हटा दिया है। जबकि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज एवं उनसे संबंद्ध सभी अस्पताल कार्यालय आयुक्त चिकित्सा शिक्षा के नियंत्रण में कार्य करते हैं। सरकार ने हमीदिया (Hamidia) हादसे में चिकित्सा शिक्षा आयुक्त को बचाते हुए सीधे मंत्रालय के अफसरों पर कार्रवाई कर दी है। राज्य शासन की इस कार्रवाई पर सवाल भी उठ रहे हैं। क्योंकि हमीदिया (Hamidia) में आगजनी की घटना में एक दर्जन से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। घटना की जिम्मेदारी तय करते हुए सरकार ने बड़े अफसरों का सिर्फ तबादला किया है, जबकि निचले स्तर के दो इंजीनियरों को निलंबित किया गया है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार जिन विभागों के HOD कार्यालय हैं। उनका अधीनस्त कार्यालयों पर सीधा नियंत्रण रहता है। मेडिकल कॉलेज एवं उनसे संबंद्ध अस्पतालों पर भी आयुक्त कार्यालय चिकित्सा शिक्षा का ही नियंत्रण रहता है। अस्पतालों में प्रशासनिक जमावट से लेकर सभी तरह की जिम्मेदारियों का निर्वहन कराने की जिम्मेदारी आयुक्त कार्यालय का होता है।



लेकिन शासन ने आयुक्त कार्यालय चिकित्सा शिक्षा को हमीदिया हादसे से क्लीनिचिट दे दी है। गुुरुवार को मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की ओर से जारी आदेश में चिकित्सा शिक्षा विभाग की सचिव अलका श्रीवास्तव को हटाकर सदस्य सचिव मध्यप्रदेश खाद्य आयोग के पद पर पदस्थ किया गया है। उनकी जगह पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त निशांत वरवडे को सचिव का दायित्व सौंपा है। प्रशासनिक जानकारों के अनुसार सचिव चिकित्सा शिक्षा पर कार्रवाई से पहले आयुक्त कार्यालय चिकित्सा शिक्षा के अफसरों पर कार्रवाई होना चाहिए थी। हालांकि राज्य शासन ने हमीदिया आगजनी की घटना से आयुक्त चिकित्सा शिक्षा निशांत बड़बड़े को क्लीनचिट देते हुए विभाग में उनका कद बढ़ा दिया है।

अस्पतालों से मांगी फायर सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट
भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल अग्निकांड से सबक लेते हुए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने हॉस्पिटल और नर्सिंग होम से फायर और सेफ्टी ऑडिट की रिपोर्ट मांगी है। जिसके चलते उन विभागों पर गाज गिर सकती है जिन्होंने अब तक फायर ऑडिट नहीं कराया है। विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह ने 30 नवंबर तक फायर ऑडिट रिपोर्ट मांगी है। यदि जब तक ऑडिट नहीं हुआ तो हॉस्पिटल के लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन खत्म किए जा सकते हैं।

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