नई दिल्ली। भारत में अधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार कुछ क्षेत्रों में प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर विचार कर रही है। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी साझा की है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने इस विषय पर कई सरकारी विभागों, नियामकों, उद्योग संगठनों, कानूनी कंपनियों, पेंशन फंड्स, प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेशकों के साथ चर्चा की है।
अधिकारी ने बताया, ‘हमने सभी हितधारकों से विचार-विमर्श पूरा कर लिया है। हमें अलग-अलग मुद्दों पर सुझाव मिले हैं। अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन प्रक्रियागत नियमों को सरल बनाने पर विचार किया जा रहा है।’ हालांकि, अधिकारी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किन क्षेत्रों में नियमों में ढील दी जा सकती है।
ई-कॉमर्स क्षेत्र में – केवल निर्यात के लिए इन्वेंटरी आधारित ऑनलाइन व्यापार मॉडल में एफडीआई की अनुमति देने का प्रस्ताव है। वहीं, प्रेस नोट 3 में बदलाव – लाभकारी स्वामित्व की परिभाषा स्पष्ट करने की मांग की गई है। जबकि, सिंगल-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग – नीति में कुछ बदलाव का सुझाव भी आया है। बता दें कि, प्रेस नोट 3 के तहत भारत की सीमा से लगे देशों के निवेशकों को किसी भी सेक्टर में निवेश से पहले सरकारी मंजूरी लेनी होती है।
मामले में डेलॉइट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि ग्रीनफील्ड निवेश की संभावनाएं अधिक हैं, जिन्हें प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। वहीं कानूनी विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि एफडीआई नीति को सरल और स्पष्ट बनाया जाए, ताकि विदेशी निवेशकों को अनावश्यक देरी और अनिश्चितता से बचाया जा सके।
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