इंदौर न्यूज़ (Indore News)

हाईकोर्ट ने इंदौर कलेक्टर को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

इंदौर: इंदौर की हाईकोर्ट (Indore High Court) द्वारा एक सीनियर सिटीजन और सेवानिवृत्त सरकारी मुलाजिम (Senior citizens and retired government employees) की याचिका पर इंदौर जिला कलेक्टर (Indore District Collector) को नोटिस जारी किया गया. साथ ही जिला कलेक्टर से आगामी चार सप्ताह में जवाब तलब किया गया. इंदौर के किशनगंज की इंद्रपुरी कॉलोनी के एक सरकारी विभाग (government department) में स्टोरकीपर के पद पर पदस्थ याचिकाकर्ता हरिशंकर जोशी द्वारा याचिका दायक की गई थी. यह याचिका वकील सीएम नायर द्वारा दायर की गई थी. ऐच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें मिलने वाले नियोजित लाभ में से लगभग 5 लाख की राशि का भुगतान अब तक नहीं किया गया.

वहीं वकील सीएम नायर ने बताया कि जोशी इंदौर के सरकारी विभाग में स्टोरकीपर के पद पर पदस्थ थे. उन्हें कोर्ट के आदेश के बाद भी दस माह में मिलने वाली राशि का भुगतान अब तक नही किया गया. इससे पहले भी 11 फरवरी 2022 को इंदौर हाईकोर्ट उनकी याचिका को स्वीकार कर कलेक्टर को शेष राशि भुगतान किये जाने के आशय के आदेश दे चुका है. इसके बवाजूद हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब तक राहत नहीं मिलने पर उन्होंने पुनः कोर्ट का रुख करना पड़ा. बुधवार को एकलपीठ के जज विजय कुमार शुक्ला ने नोटिस जारी किया. इस मामले की आगामी सुनवाई 20 जनवरी 2023 को हो सकती है.


यही नहीं याचिकर्ता हरिशंकर जोशी को इससे पहले भी अपने ही सेवा के एवज में मिलने वाले हक के लिए लड़ाई लड़ी पड़ी थी. सरकार ने इससे पहले भी उनकी जगह एक भोपाल निवासी सरकारी लोक सेवक को उनकी राशि का भुगतान कर दिया था. जिसका वे लंबे संघर्ष के बाद जैसे-तैसे भुगतान प्राप्त करने में सफल हुए. वर्तमान में वे बकाया एरियर की राशि लेने के लिए संघर्षरत हैं. हालांकि यह मामला इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह के कार्यकाल का है. अब देखना होगा कि ऐसे में संवेदनशीलता के लिए ख्यात नवागत कलेक्टर का रुख अब इस मामले में क्या होगा?

Share:

Next Post

इस वजह से MP के बाकी शहर स्वच्छता रैंकिंग में नहीं आ रहे नम्बर-1

Thu Dec 22 , 2022
इंदौर: इंदौर (Indore) को छोड़कर मध्यप्रदेश के बाकी शहर राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिंग (national cleanliness ranking) में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. शहरों को स्वच्छ नहीं रख पाने के पीछे की वजह नगरपालिका और नगर पंचायतों (Municipalities and Nagar Panchayats) के सीएमओ का कम पढ़ा लिखा होना है. मध्यप्रदेश की 16 नगरीय निकायों के […]