उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

प्रायवेट अस्पताल वाले गंभीर मरीजों की राह देखते रह गए..कमाई नहीं हुई

  • इस बार प्राइवेट अस्पताल वाले एवं दवा कंपनी वाले नहीं कर पाए बड़ा बिजनेस-कलेक्टर ने इस बार दिए थे निर्देश

उज्जैन। कोरोना की तीसरी लहर में प्रायवेट अस्पताल वाले मुँह ताक रहे हैं कि मरीज उनके यहाँ भर्ती हों तथा उनकी कमाई शुरू हो लेकिन अभी तक ऐसी नौबत नहीं आई है, क्योंकि संक्रमितों का उपचार घरों पर ही चल रहा है और दो से तीन दिन में ठीक भी हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कोरोना की दूसरी लहर में निजी अस्पताल वालों ने जमकर कमाई की थी और उपचार के नाम पर दो से तीन गुना ज्यादा राशि वसूल की थी। आमतौर पर 2 से ढाई हजार रुपए में होने वाली सीटी स्कैन जाँच के भी निजी अस्पतालों ने 8 से 10 हजार रुपए तक वसूले थे। एक समय तो नौबत यह आ गई थी कि ऑक्सीजन की कमी के चलते प्रायवेट अस्पतालों ने बाहर बोर्ड लगा दिए थे कि मरीज तभी भर्ती किया जाएगा, जब परिजन अपने साथ गैस से भरा सिलेंडर लेकर आएंगे। उस दौरान अस्पताल वाले मरीजों को भर्ती करने को तैयार नहीं हो रहे थे और बिस्तर पर लेटाने के भी 10 हजार रुपए तक वसूल रहे थे।


दूसरी लहर में अस्पताल वालों ने जमकर चाँदी काटी थी और मानवता को ताख में रख दिया था लेकिन तीसरी लहर में ओमिक्रोन के सब वैरिएंट का स्वभाव इतना खतरनाक नहीं रहा है। अभी जो मरीज पॉजीटिव आ रहे हैं, उनमें से 98 प्रतिशत लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ रही। लोग पैरासिटामॉल और मल्टी विटामिन की गोलियों से ही ठीक हो रहे हैं। ऐसे में तीसरी लहर में कमाई करने के निजी अस्पताल वालों के मनसूबे खत्म होते दिख रहे हैं और वे ताक में हैं कि संक्रमण बढ़े और वे बीमारों से मुँॅहमांगे दाम वसूल सकें। दूसरी लहर में प्रायवेट अस्पतालों में मास्क बदलने तक के दाम वसूले थे। अस्पतालों में होने वाली सुबह शाम की सफाई का चार्ज वसूला था। कलेक्टर ने इस बार अस्पताल वालों केा निर्देश दिए थे कि वह उचित दाम वसूलेंगे और निगरानी करने की बात कही थी। हालांकि लहर जानलेवा नहीं होने के कारण निजी अस्पताल वालों की मनमानी नहीं चल पाई।

चरक में लगी सीटी स्कैन मशीन तीसरी लहर में काम नहीं आ रही
कोरोना की दूसरी लहर के बाद राज्य शासन ने प्रदेश के 18 जिलों में नई सीटी स्कैन मशीन जिला अस्पतालों में लगवाई थी। इनमें से एक मशीन चरक अस्पताल के समीप भी लगाई गई है। तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए कहा गया था कि आवश्यकता पडऩे पर इसका गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को कम कीमत पर इस मशीन से जाँच होगी। परंतु नये वैरिएंट में फेफड़ों का संक्रमण नहीं के बराबर हो रहा है। ऐसे में मरीजों को पॉजीटिव आने के बाद सीटी स्कैन जाँच की आवश्यकता नहीं पड़ रही। यही कारण है कि डेढ़ करोड़ रुपए कीमत की चरक अस्पताल में लगी नई सीटी स्कैन मशीन तीसरी लहर के बावजूद उपयोग में नहीं आ पा रही है।

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