कई श्मशान में लकड़ी पर्याप्त होने के बावजूद कंडे से कर रहे दाह संस्कार
इंदौर। शहर के मुक्तिधाम में लगातार आ रही चिता के दाह संस्कार (cremation) के लिए अब लकड़ी (wood) की जगह कंडों का उपयोग किया जा रहा है, ताकि चिता की राख जल्द ठंडी हो सके और दूसरे दिन मृतक के परिजन आकर अस्थियां ले जा सके। यह प्रयोग सफल भी हो गया है।
वैसे अभी श्मशान में पर्याप्त लकडिय़ां उपलब्ध हंै और निगम लगातार वहां आपूर्ति भी कर रहा है, लेकिन जिस तरह से मुक्तिधाम में शव पहुंच रहे हैं, उससे वहां का प्रबंधन भी गड़बड़ा गया है। अप्रैल की शुरूआत में लकडिय़ों से ही अंतिम संस्कार (funeral) किया जा रहा था, लेकिन जैसे-जैसे शवों की संख्या बढ़ती गई, वैसे-वैसे कंडों का उपयोग मुक्तिधाम में बढ़ता जा रहा है। कंडें प्रकृति को नुकसान भी नहीं करते हैं और इससे जो धुआ निकलता है वह पर्यावरण को शुद्ध भी करता है। इसलिए अधिकांश मुक्तिधाम में अब कंडों की चिता सजाई जा रही है। एक तो इसका यह फायदा है कि चिता को जमाने में ज्यादा समय नहीं लगता और दाह संस्कार के बाद चिता भी जल्द ठंडी हो जाती है, ताकि दूसरे दिन परिजन अस्थियां लेकर जा सके।
रसीद 3500 रुपए की ही
वैसे कंडे से दाह संस्कार के लिए कम खर्चा होता है और कंडे के साथ-साथ संटियों से दाह संस्कार कर दिया जाता है। कुछ मुक्तिधाम लकडिय़ों का ही खर्चा दाह संस्कार करने आए लोगों से वसूल रहे हैं। मालवा मिल मुक्तिधाम की बात की जाए तो यहां मृतकों के परिजनों से 3500 रुपए ही लिए जा रहे हैं जो सामान्य तौर पर दाह संस्कार के लिए जाते हैं।