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उदयपुर हत्याकांड पर बोले धर्मगुरु, ‘धार्मिक कट्टरता बर्दाश्त नहीं

नई दिल्‍ली। भाजपा प्रवक्‍ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) का समर्थन करने वाले राजस्थान के उदयपुर (Udaipur of Rajasthan) में एक टेलर दुकानदार की हत्या के बाद उदयपुर में तनाव का माहौल है। हत्या के आरोपियों का वीडियो सामने आने के बाद पूरे देश में गुस्सा है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर ऐसी बर्बरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

आपको बता दें कि राजस्थान के उदयपुर में एक टेलर की मंगलवार को दो लोगों ने गला रेतकर हत्या कर दी. इसके बाद घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और कहा कि वे इस्लाम के अपमान का बदला ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि टेलर के 8 साल के बेटे ने नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था, जिसके बाद ये पूरा विवाद नृशंस हत्या तक पहुंच गया। इस घटना की मुस्लिम उलेमाओं ने एक सुर में निंदा की है और कहा है कि इस्लाम में इस तरह की हरकत करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। इतना ही नहीं, उलेमाओं ने हत्या के दोनों आरोपी रियाज और गौस मोहम्मद को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की है।



वहीं बरेली के मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि उदयपुर की वीभत्स घटना से मन बहुत व्यथित है. कुछ कहने के लिए शब्द ही नहीं हैं। ऐसी कोई भी घटना कानून ही नहीं इस्लाम की नजर में भी गलत है. कानून को अपने हाथ में लेने को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता। धार्मिक नफरत किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है. न तो धर्म और न ही हमारे देश का संविधान हमें कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति देता है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘मैं उदयपुर राजस्थान में हुई भीषण हत्या की निंदा करता हूं। ऐसी हत्या को कोई डिफेंड नहीं कर सकता। इस तरह की हिंसा का विरोध करने के लिए हमारी पार्टी का स्टैंड साफ है कि कोई भी कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता. हम मांग करते हैं कि राज्य सरकार सख्त से सख्त कार्रवाई करे. कानून के शासन को बनाए रखा जाना चाहिए।

वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पैगंबर के कथित अपमान के संदर्भ में उदयपुर में की गई हत्या की निंदा की है। उन्होंने कहा कि जिसने भी इस घटना को अंजाम दिया उसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता, यह देश के कानून और हमारे धर्म के खिलाफ है।
जबकि मुफ्ती अबुल इरफान मियां ने कहा कि पैगंबर ने कभी किसी को शारीरिक रूप से नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि हमेशा अमन का पैगाम दिया है. इसलिए किसी को भी किसी भी आपराधिक गतिविधि को करने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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