भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

शीत सत्र से पहले तीन विधायकों की सदस्यता पर लटकी तलवार

  • आज-कल में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम लेंगे सदस्यता का अंतिम निर्णय

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा के शीत कालीन सत्र से पहले तीन विधायकों की सदस्यता खतरे में है। इनमें से एक विधायक को शीत सत्र में भाग लेने समेत सुविधाओं के लिए अयोग्य करार दिया गया है। अब सदस्यता का अंतिम निर्णय विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम लेंगे। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दो विधायकों की सदस्यता निरस्त करने को कहा है। इसमें विधानसभा सचिवालय की तरफ से एक मामले में नोटिस जारी किया गया है। दूसरे मामले में अभी सूचना का इंतजार है। जिन तीन विधायकों की सदस्यता खतरे में है, उनमें भाजपा के दो और कांग्रेस का एक विधायक शामिल है।

जमीन की धोखाधड़ी मामले में फंसे कुशवाहा
मुरैना की सुमावली सीट से कांग्रेस विधायक अजय सिंह कुशवाहा को जमीन की धोखाधड़ी मामले में कोर्ट ने दो साल की जेल की सजा सुनाई है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधान के अनुसार दो साल की जेल होने पर सदस्यता समाप्त करने का नियम है। कुशवाहा ने 2020 के उपचुनाव में बीजेपी के एंदल सिंह कंसाना को हराया था। इसके बाद सरकारी जमीन को अपना बताकर 75 लाख रुपये में बेचने के मामले में मुश्किलों में फंस गए थे। पुरुषोत्तम शाक्य नामक व्यक्ति ने उनके खिलाफ ग्वालियर के महाराजपुरा थाने में शिकायत की। उन पर जमीन का कब्जा नहीं देने का आरोप लगाया। कोर्ट ने इस मामले में कुशवाहा समेत अन्य दो लोगों को दो-दो साल की सजा सुनाई और जुर्माना भी किया है। विधानसभा सचिवालय ने कुशवाहा को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। कुशवाहा ने कोर्ट में अपील दायर करने के लिए समय मांगा है। विधानसभा सचिवालय ने कुशवाहा के वेतन और अन्य सुविधाएं बंद कर दी है। उन्हें आगामी सत्र के लिए अयोग्य करार दिया गया। उनकी सदस्यता पर अंतिम निर्णय विधानसभा अध्यक्ष को लेना है।


नियमविरुद्ध नामांकन स्वीकार करने में फंसे हैं लोधी
टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी का निर्वाचन भी हाईकोर्ट ने शून्य कर दिया है। राहुल पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के बड़े भाई हरबल सिंह लोधी के बेटे हैं। वह पहली बार विधायक बने हैं। 2018 में उनके खिलाफ चुनाव हारने वाली कांग्रेस प्रत्याशी चंदा रानी गौर ने हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर की। निर्वाचन अधिकारी पर नियम के विरुद्ध जाकर से नामांकन स्वीकार करने और सरकारी ठेका प्राप्त करने वाली निजी कंपनी में पार्टनशिप होने की बात छिपाने का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट ने निर्वाचन शून्य कर दिया। इसकी जानकारी चुनाव आयोग को देने के निर्देश दिए हैं। राहुल लोधी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील लगाई है। अब विधानसभा सचिवालय को चुनाव आयोग से उनकी सदस्यता को शून्य करने की जानकारी का इंतजार है।

फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में दोषी हुए जज्जी
अशोकनगर से भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी की सदस्यता भी खतरे में है। हाईकोर्ट ने जज्जी का अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। जज्जी ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी हैं। जज्जी पर 1994 में खुद को सामान्य सिख वर्ग का बताकर जनपद सदस्य और 1999 में ओबीसी वर्ग के तौर पर अशोकनगर नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव लडऩे का आरोप है। इसके बाद उन्होंने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनाया और विधानसभा चुनाव लड़ा। कोर्ट ने उनकी सदस्यता निरस्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को लिखा है। विधानसभा को कोर्ट की जानकारी का इंतजार है।

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