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केजरीवाल-सोरेन पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, कैसे होगा ‘INDIA’ का बेड़ा पार

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले विपक्षी गठबंधन (opposition alliance) ‘INDIA’ के दो मुख्यमंत्री (Chief Minister) मुश्किलों में घिरे हुए हैं. आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और जेएमएम नेता व झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले (Delhi Excise Policy Matters) में तीसरी बार अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया तो मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एजेंसी हेमंत सोरेन को सातवीं बार समन भेज चुकी है, लेकिन दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों जवाब देने के लिए एक बार फिर हाजिर नहीं होंगे. ऐसे में जांच एजेंसियों के समन की अनदेखी करने के चलते केजरीवाल और हेमंत सोरेन पर गिरफ्तारी पर तलवार लटकने लगी है.

लोकसभा चुनाव से पहले ईडी अगर केजरीवाल-सोरेन को गिरफ्तार करती है तो विपक्षी गठबंधन के लिए यह एक बड़ा झटका होगा?
दरअसल, ईडी के पास समन की बार-बार अनदेखी करने पर कार्रवाई के अधिकार हैं, लेकिन उसकी सीमाएं भी हैं. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी के सात समन के बाद भी जवाब देने के लिए पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं, रांची में जमीन घोटाला मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने उन्हें पूरे परिवार की संपत्ति के विवरण के साथ आने को कहा है. ऐसे ही दिल्ली की सीएम अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले मामले में ईडी ने तीसरी बार बुधवार को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह एक बार फिर पेश नहीं होंगे. केजरीवाल ने ईडी को पत्र लिखकर नोटिस को गैरकानूनी बताया है. आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा कि है कि इनकी नीयत केजरीवाल को गिरफ्तार करने की है. ये केजरीवाल को चुनाव प्रचार से रोकना चाहते हैं. चुनाव के ठीक पहले ही नोटिस क्यों जारी हुआ.

जांच एजेंसी को है ये अधिकार
पीएमएलए की धारा-19 के तहत प्रवर्तन निदेशालय को यह अधिकार है कि लगातार तीन बार समन के बाद भी अगर कोई आरोपित पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होता है तो ईडी उसे गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन उसके पास गिरफ्तारी के लिए पुख्ता आधार होने चाहिए. हालांकि, पिछले दिनों देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ईडी को कहा था कि अगर कोई ईडी के समन के बावजूद पूछताछ में उसे सहयोग नहीं कर रहा है तो केवल यह उसकी गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता है. गिरफ्तारी तभी हो सकती है जब अधिकारी को यह विश्वास हो कि आरोपित अपराध में संलिप्त है. माना जाता है कि यही वजह है कि ईडी के द्वारा बार बार समन को विपक्षी दल के नेता नजर अंदाज कर रहे हैं और उसके पीछे सियासी साजिश बता रहे हैं.

केजरीवाल को ED ने भेजी तीसरी नोटिस
लोकसभा चुनाव की बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच ईडी ने हेमंत सोरेन और केजरीवाल को जवाब देने के लिए समन भेजा तो उसे राजनीतिक रंग दे दिया है. केजरीवाल को ईडी ने तीसरी नोटिस भेजी है, इससे पहले 2 नवंबर और 21 दिसंबर को समन जारी किए थे. केजरीवाल तीनों बार पेश होने से इनकार कर दिए और ईडी के समन को अवैध और राजनीति से प्रेरित बताया था. AAP ने पिछले महीने ईडी की नोटिस भेजने पर ‘मैं भी केजरीवाल’अभियान चलाकर राय लिया था कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए कि नहीं, जिस पर ज्यादातर उत्तरदाताओं की राय थी कि सीएम को इस्तीफा नहीं देना चाहिए और ‘अगर उन्हें झूठा फंसाया गया है, तो उन्हें जेल से सरकार चलानी चाहिए’.


सोरेन को सात बार नोटिस भेज चुकी है ED
वहीं, भ्रष्टाचार और मनी लॉड्रिंग मामले में ईडी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सात बार नोटिस भेज चुकी है, लेकिन अभी तक उन्होंने एक बार भी हाजिर नहीं हुए. उन्होंने बंद लिफाफे में अपना जवाब भेज दिया है और दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय की जांच “सच्चाई की खोज पर आधारित” नहीं है, बल्कि उनके खिलाफ एक चाल चली जा रही है. सोरेने कहा कि उनकी छवि को खराब करना और राजनीतिक क्षेत्र में बदनाम करने की विपक्षी दलों की षड़यंत्र है. साथ ही आरोप लगाया कि मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने और डराने-धमकाने के लिए केंद्रीय एजेंसी का दुरुपयोग किया जा रहा है.

दिसंबर में सोरेन को भेजा गया था सांतवां समन
हालांकि, ईडी ने सोरेन से पूछताछ के लिए दो दिनों के भीतर जगह, तिथि व समय बताने को कहा था. ईडी ने उन्हें 29 दिसंबर को ही सातवां समन किया था और ईडी का दो दिनों का वक्त भी समाप्त हो चुका है. ईडी ने सीएम को यह भी बताया था कि उक्त प्रकरण में सात दिनों के भीतर पूछताछ कर लेनी है. अब सात दिन पूरा होने में भी चंद दिन शेष हैं. ऐसी स्थिति में ईडी अब कोई कड़ा कदम उठा सकती है. ईडी ने सातवें समन में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर इस बार भी हेमंत सोरेन समन की अवहेलना करेंगे तो यह माना जाएगा कि मुख्यमंत्री जानबूझकर समन की अवहेलना कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में ईडी के पास पीएमएलए एक्ट के तहत कार्रवाई का अधिकार है. ईडी के रुख से यही लगता है कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के लिए किसी भी समय कदम उठा सकती है.

सोरेन ने बुलाई विधायक दल की बैठक
ईडी के लगातार कसते सियासी शिकंजे के बीच झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने बुधवार को अफने आवास पर अपनी पार्टी जेएमएम के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन की बैठक बुलाई है. सूत्रों की माने कहा कि कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम को ईडी के सातवें नोटिस के मद्देनजर रणनीति तैयार करने के लिए बैठक बुलाई गई थी. झामुमो विधायक सरफराज अहमद ने सोमवार को अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद बीजेपी ने आरोप लगाया कि उन्हें पद छोड़ने के लिए मजबूर किया ताकि सोरेन अपनी पत्नी कल्पना को सीएम बनाने के लिए चुनाव लड़ाने का प्लान है. हेमंत सोरेन ने मंगलवार को कल्पना को सीएम बनाने वाली बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. ऐसे में सभी की निगाहें बुधवार हो महागठबंधन के विधायक दल की होने वाली बैठक पर टिकी है कि सोरेन क्या फैसला लेंगे और किस तरह का कदम उठाएंगे.

कैसे होगा INDIA गठबंधन का बेड़ा पार
बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी करने के लिए बने विपक्षी गठबंधन INDIA के अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन अहम हिस्सा हैं. कांग्रेस के बाद आम आदमी पार्टी की ही देश के दो राज्यों में सरकार है. पंजाब और दिल्ली की सत्ता पर आम आदमी पार्टी काबिज है तो झारखंड में हेमंत सोरेन की अगुवाई में जेएमएम का दबदबा है. INDIA गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर इन दिन बातचीत चल रही है, जिसमें इन दोनों ही छत्रपों की अहम भूमिका है. केजरीवाल को दिल्ली और पंजाब में सीट शेयरिंग को लीड करना है तो झारखंड में हेमंत सोरेन को फार्मूला तय करना है. ये दोनों ही नेता अपनी-अपनी पार्टी के प्रमुख चेहरा और उनके इर्द-गिर्द ही पूरी सियासत उनके राज्यों में सिमटी हुई है. ऐसे में अगर ईडी दोनों ही नेताओं को गिरफ्तार कर लेती है तो फिर विपक्षी गठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएगी.

लोकसभा चुनाव में पड़ेगा असर?
लोकसभा सीटों के लिहाज से देखें तो दिल्ली में सात, पंजाब में 13 और झारखंड में 14 लोकसभा सीटें है. विपक्षी गठबंधन को इन तीनों राज्यों से 2024 के लोकसभा चुनाव में काफी उम्मीदें दिख रही हैं, क्योंकि यहां पर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी पूरी तरह से एकजुट हैं. खासकर झारखंड और दिल्ली में बीजेपी अकेले है जबकि विपक्ष के सभी दल एक साथ हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो सकती है. 2019 में दिल्ली की सभी सात और झारखंड में 9 सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी जबकि पंजाब में दो सीटें मिली थी. विपक्षी एकजुटता के बीच बीजेपी के लिए 2024 में तीनों राज्यों में अपनी 18 सीटों को बचाए रखने की चुनौती है तो INDIA गठबंधन क्लीन स्वीप करने की रणनीति है. ऐसे में केजरीवाल-सोरेन पर कसता शिकंजा विपक्षी गठबंधन के लिए चिंता बढ़ा सकती है?

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