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कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार में होता है इतना अंतर, मिलती है इतनी पॉवर

 

नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट (Modi cabinet) के मंत्र‍िमंडल में आज विस्तार हो रहा है. केंद्रीय श‍िक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंंक (Ramesh Pokhriyal Nishank) और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्द्धन (Dr. Harsh Vardhan) ने इस्तीफा दे दिया. भारत के केंद्रीय मंत्र‍िमंडल में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं. इनमें कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister), राज्य मंत्री (state Minister) और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार (Minister of State Independent Charge) तीन तरह के मंत्री होते हैं. इसमें बढ़ते से घटते पॉवर क्रम के हिसाब से कैबिनेट मंत्री पहले नंबर पर आते हैं. ये कैबिनेट के सदस्य मंत्र‍िमंडल का वो हिस्सा होते हैं जिन पर मंत्रालय का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी होती है. 

दूसरे नंबर पर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) (Minister of State Independent Charge) आते हैं जिन्हें जूनियर या कनिष्ठ मंत्री कहते हैं, हालांकि ये कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट नहीं करते हैं. इसके बाद तीसरे नंबर पर आते हैं राज्य मंत्री जो कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं, उन्हें आमतौर पर उसी मंत्रालय में एक विशेष जिम्मेदारी सौंपी जाती है. 

कैबिनेट मंत्री के बारे में जानें – मंत्रिमंडल का खास हिस्सा कैबिनेट मंत्रियों के पास होता है. उन्हें एक या इससे अध‍िक मंत्रालय भी आवंटित किए जाते हैं. सरकार के सभी फैसलों में कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं. आमतौर पर हर हफ्ते कैबिनेट की बैठक होती है. सरकार कोई भी फैसला, कोई अध्यादेश, नया कानून, कानून संसोधन वगैरह कैबिनेट की बैठक में ही तय करती है. 

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के बारे में जानें-  मंत्री परिषद का हिस्सा स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों के पास आवंटित मंत्रालय और विभाग की पूरी जवाबदेही होती है लेकिन वो आम तौर पर कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हो सकते. कैबिनेट इनको उनके मंत्रालय या विभाग से संबंधित मसलों पर चर्चा और फैसलों के लिए खास मौकों पर बुला सकता है.


राज्य मंत्री के बारे में जानें- मंत्रिपरिषद का हिस्सा राज्य मंत्री कैबिनेट मिनिस्टर के अंडर में काम करने वाले मंत्री हैं. बता दें कि एक कैबिनेट मंत्री के अंडर में एक या उससे ज्यादा राज्य मंत्री भी होते हैं. इसके अलावा एक मंत्रालय के अंदर कई विभाग होते हैं जो राज्य मंत्रियों के बीच बांटे जाते हैं ताकि वो कैबिनेट मंत्री को मंत्रालय चलाने में मदद कर सकें.

जानें कैबिनेट मंत्री की सैलरी व सुविधाएं 

कैबिनेट मंत्री को हर महीने 1,00,000 रुपए मूल वेतन मिलता है. इसके साथ ही निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70,000 रुपए, कार्यालय भत्ता 60,000 रुपए और सत्कार भत्ता 2,000 रुपए रुपए शामिल है. राज्य मंत्रियों को 1,000 रुपए प्रतिदिन और डिप्टी मंत्री को 600 रुपए प्रतिदिन सत्कार भत्ता मिलता है. इसके अलावा उन्हें संसद सदस्य की तरह की यात्रा भत्ता/यात्रा सुविधाएं, रेल यात्रा सुविधाएं, स्टीमर पास, आवास, टेलीफोन सुविधाएं और वाहन क्रय हेतु अग्रिम राशि मिलती है.

पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को पेंशन, निशुल्‍क रेल यात्रा सुविधा, चिकित्‍सा सुविधाएं, दिवंगत सदस्य की मृत्यु के समय आश्रित को उसे मिलने वाली पेंशन का 50 प्रतिशत और निशुल्‍क स्‍टीमर सुविधा मिलेगी. वहीं, राज्यमंत्री को भी सुविधाएं कैबिनेट मंत्री के बराबर ही मिलती है जबकि स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री विभाग का स्वतंत्र प्रभारी होता हो और जरूरत पड़ने पर कैबिनेट की मीटिंग में अपनी बात रख सकता है.

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