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महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग पर बन गई बात! कांग्रेस ने उद्धव-शरद पवार से 48 में से 39 सीटों पर किया समझौता

मुंबई। महाराष्ट्र के सहयोगियों के साथ बातचीत के बाद, कांग्रेस ने आम चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग का फार्मूला लगभग तय कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, राज्य की 48 सीटों में से 39 सीटों के लिए सीट-बंटवारे पर फैसला ले लिया गया है। यह राहुल गांधी की शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार के गुट तक पहुंच का के कारण हुआ है।

पार्टी ने पहले ही उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 17 सीटों के लिए अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ और दिल्ली की सात में से तीन सीटों के लिए अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ समझौता कर लिया है। उधर कांग्रेस ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल में सीट शेयरिंग को लेकर ममता बनर्जी से संपर्क किया है। बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कांग्रेस को बंगाल में दो सीटें देने की पेशकश की थी। कांग्रेस ज्यादा सीटों की डिमांड कर रही थी जिसके बाद सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत विफल हो गई थी। अब कांग्रेस ने एक बार फिर इसे लेकर बातचीत करने की पहल की है।


एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस ने टीएमसी से 5 सीटों के लिए बात की है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस दो सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार टीएमसी के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम दूरबीन से भी कांग्रेस के लिए तीसरी सीट नहीं ढूंढ पा रहे हैं।” आपको बता दें, महाराष्ट्र के 48 सीटों में से 8 को लेकर गठबंधन के घटक दलों के बीच मतभेद है। इन 8 सीटों में मुंबई की दो सीटें – दक्षिण मध्य और उत्तर पश्चिम – शामिल हैं, जो सेना (यूबीटी) और कांग्रेस दोनों ही लेना चाहती हैं।

सूत्रों की मानें तो वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर की मांगों पर भी देरी हो रही है। वो 48 में से पांच सीटें चाहते हैं। बता दें, अम्बेडकर की पार्टी ने 2019 के चुनाव में 47 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन एक भी सीट जीतने में असफल रही थी। वीबीए ने 2019 के विधानसभा चुनाव में भी 236 सीटों पर चुनाव लड़ा और अपना खाता नहीं खोल पाई।

सेना (तब अविभाजित और भारतीय जनता पार्टी के साथ संबद्ध) ने 2019 में 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और मुंबई दक्षिण मध्य और उत्तर पश्चिम सहित 18 पर जीत हासिल की। कांग्रेस ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल चंद्रपुर में जीत हासिल की, जबकि शरद पवार की राकांपा (तब अविभाजित) ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और चार पर जीत हासिल की।

उस चुनाव में भाजपा का दबदबा रहा और उसने जिन 25 सीटों पर चुनाव लड़ा उनमें से 23 पर जीत हासिल की। महाराष्ट्र में सीट-शेयर सौदे को सील करने की कांग्रेस की कोशिशों में लगी है क्योंकि यूपी के बाद महाराष्ट्र एक महत्वपूर्ण राज्य है जो सबसे अधिक सांसदों को निचले सदन में भेजता है। हाल ही में अशोक चव्हाण के दलबदल से सीट शेयरिंग का मामला और भी ज्यादा जटिल हो गया है।

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