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इतिहास लेखन में प्रमाणिकता होनी चाहिए – PM

पुणे। शिवाजी महाराज के चरित्र को घर-घर तक पहुंचाने वाले बाबा साहब पुरंदरे के 100वें जन्मदिन समारोह में सम्मिलित हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इतिहासकारों की नई पीढ़ी अपने लेखन में प्रमाणिकता रखे, ताकि उनके लेखन से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती रहे।

बाबासाहब पुरंदरे ने 100वें जन्मदिवस समारोह में आभासी रूप से जुड़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, वेदों में हमारे मनीषियों ने “पश्येम शरदः शतम्, जीवेम शरदः शतम् बुद्धेम शरदः शतम् और रोहेम शरदः शतम्” कहा है। इसका अर्थ है कि हमारी दृष्टी, आयु, बुद्धि और ज्ञान सौ वर्षो तक बना रहे। सौभाग्य से पुरंदरे जी के बारे में वेद कालिन ऋषियों की कथनी चरितार्थ हुई है।


पीएम मोदी ने कहा कि एक ओर बाबा साहब आयु के 100वे वर्ष में पदार्पण कर रहे हैं, वहीं देश भी अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह दुर्लभ संयोग है। आजादी के अमृत महोत्सव में आजादी के संग्राम में योगदान देने वाली अमर आत्माओं के योगदान पर लेखन हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पुरंदरे जी ने शिवाजी महाराज का जीवन, इतिहास जन-जन तक पहुंचाया है। शिवाजी महाराज देश के इतिहास के शिखर पुरुष हैं। देश का अतित, वर्तमान और भविष्य छत्रपति के त्याग, चरित्र और प्रेरणा पर आधारित है। छत्रपति का हिंद स्वराज, सुशासन और पिछड़ों को न्याय एक उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा साहाब ने आजाद भारत कि नई पीढ़ी को छत्रपति के प्रेरणादायी इतिहास से रूबरू करवाया है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने बाबासाहेब पुरंदरे के 40 वर्ष पुराने संस्मरण को याद करते हुए कहा कि उनके इतिहास लेखन में प्रमाणिकता रही है। नतीजतन लेखनशैली कि इस प्रमाणिकता के चलते वह इतिहास पढने वालों के दृदय में सच्ची प्रेरणा उत्पन्न करने से सफल रहे। प्रधानमंत्री ने युवा इतिहासकारों से उसी प्रमाणिकता और प्रेरणा से इतिहास लेखन करने का आह्वान किया।

निरंतर चलता रहे कार्य- सरसंघचालक
कार्यक्रम में आभासी रूप से जुड़े सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि देश में बहुत सारे इतिहास अनुसंधानकर्ता और लेखक हुए है। लेकिन छत्रपती शिवाजी महाराज पुरंदरे की सांसो में बसते हैं, उनकी प्रेरणा रहे हैं। सरसंघचालक ने कहा कि पुरंदरे देशभक्ती की अपनी प्रबल भावना के चलते इतिहास लेखन के कार्य को भली-भांति करने पाने में सफल रहे। डॉ. भागवत ने कहा कि पुरंदरे जैसे व्यक्तित्व विरले होते हैं। आज पुरंदरे नहीं बल्कि भारत के सच्चे इतिहास को सामने लाने की प्रेरणा, त्याग और समर्पण की भावना ने 100 वर्ष पूर्ण किये हैं। इस अवसर पर सरसंघचालक ने आह्वान किया कि पुरंदरे द्वारा शुरू किया गया कार्य निरंतर जारी रखने के लिए नई पीढ़ी को अपना योगदान देना चाहिए। (एजेंसी, हि.स.)

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