
बिजली विभाग की किरकिरी के बाद एमडी ने इंजीनियरों को लताड़ा
इंदौर। तेज हवा-आंधी (wind storm) के साथी शहरभर (Indore) में बत्ती गुल (powered off) से बिजली विभाग (Electricity Department) की लगातार किरकिरी हो रही है। इसको लेकर एमडी (MD) ने इंजीनियरों की बैठक ली और उन्हें जमकर लताड़ा। मेंटेनेंस तो रोज हो रहा है, लेकिन पेड़-पौधे बिजली लाइनों के आसपास कैसे हैं। अब 2 सप्ताह का समय दिया गया है, जिसमें पेड़ों की छंटाई व अन्य मेंटेनेंस के काम किए जाएंगे।
आज शहरभर में बिजली कर्मचारी पेड़ों की कटाई-छंटाई के लिए सुबह से ही जुट गए हैं। शहरभर की 100 से ज्यादा कॉलोनी में सुबह-सुबह अचानक बत्ती गुल होना लोगों को अचरज में डाल रहा है। बिजली कर्मचारी इन क्षेत्रों के पेड़-पौधों की छंटाई में लगे हैं, जहां पर बिजली के तार व खंभों के पास पेड़ या उसकी शाखाएं हैं, उन्हें हटा रहे हैं। इंदौर शहर में बिजली के तीस झोन हैं। एक बिजली झोन पर तकरीबन 18000 से 25000 और कुछ स्थानों पर इससे ज्यादा भी उपभोक्ता की संख्या है। हर झोन पर आज से 11 केवी के पांच फीडर और बड़ी 33 केवी लाइनों का भी मेंटेनेंस शुरू हो गया है, जो रोजाना होगा। वैसे तो बिजली मेंटेनेंस हर दिन हो रहा था, लेकिन इंजीनियरों की कोई मॉनिटरिंग नहीं होने से इसमें काम कुछ खास नहीं हुआ, जिससे तेज हवा-आंधी में बिजली व्यवस्था बुरी तरह गड़बड़ा गई और विभाग की किरकिरी हुई। इसके बाद एमडी अनूप कुमार सिंह ने इंजीनियरों की बैठक ली और उन्हें खूब अव्यवस्थाओं पर जमकर लताड़ लगाई। मोबाइल और टोल फ्री नंबर के लिए भी अलग से निर्देश जारी किए गए हैं। रोजाना एक झोन पर 1 हजार से 1500 यानी शहरभर में 30000 से 40000 उपभोक्ताओं के यहां सुबह-सुबह बत्ती गुल रहेगी। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि विपरीत मौसम में बिजली लाइनों के आसपास पेड़-पौधे न रहें, वही बिजली के उपकरण तार कंडक्टर को भी जांचा जा रहा है, ताकि अचानक बत्ती गुल जैसे हालात न बने। बिजली बंद होने की सूचना अब समाचार पत्रों के माध्यम से आम शहरवासियों को पहुंचाई जाएगी। इस प्रकार की यह व्यवस्था लंबे समय से बंद थी। बत्ती गुल तो हो रही थी, लेकिन इंजीनियर खंभे बदलने और सेटिंग के काम में लगे थे। बिजली कंपनी की ओर से मेंटेनेंस के नाम पर रोजाना बत्ती गुल तो पहले भी हो रही थी और मेंटेनेंस को सालभर चलने वाली प्रक्रिया बताया गया है, लेकिन ज्यादातर झोन इंजीनियर व अधिकारी खंभे बदलने, ट्रांसफार्मर हटाने के साथ सेटिंग जैसी कार्रवाई को ज्यादा पसंद करते थे, इसलिए बिजली लाइनों के आसपास पेड़-पौधे लतालूम हो रहे हैं।