देश

पिथौरागढ़ के 24 गांवों में सख्ती से लागू होंगे DDA के ये नियम, ग्रामीणों का विरोध फिर से शुरू

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में विकास प्राधिकरण (DDA) के उस आदेश पर अमल का फरमान जारी हुआ है, जो 2014 में आया था. इस आदेश के मुताबिक, शहर से सटे 24 गांवों को प्राधिकरण में शामिल करने का फैसला लिया गया था. ऐसे में डीडीए के इस फरमान के बाद विरोध भी तेज होने लगा है. पहाड़ों में विकास प्राधिकरण के विरोध में आंदोलन काफी तेज रहा था. यही वजह थी कि तत्कालीन सरकार ने अपने ही फैसले पर अमल नहीं होने दिया, लेकिन अब पिथौरागढ़ में विकास प्राधिकरण में शहर से सटे 24 गांवों को शामिल करने का विरोध शुरू होने लगा है. असल में डीडीए में 24 गांवों को शामिल करने का फैसला सालों पहले ही ले लिया गया था लेकिन भारी विरोध को देखते हुए इस फैसले पर अमल नहीं हो पाया, लेकिन अब इस फैसले को सख्ती से लागू करने की कवायद शुरू हो गई है.

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भवन प्लान अनिवार्य
पिथौरागढ़ शहर से सटे 24 गांवों के लोगों को अब भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराना जरूरी होगा. ऐसा न होने की स्थिति में जुर्माना वसूलने की कार्रवाई की जाएगी. इस आदेश के बाद सभी ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में नाराजगी है. उन्होंने डीएम कार्यालय में प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया. प्रदर्शन कर रहे ऋशेन्द्रा महर और कमलेश कशनियाल ने कहा कि पहाड़ के गांवों में सरकार सुविधाओं का विस्तार तो नहीं कर पाई है, उल्टा अब ग्रामीणों की जेब पर डाका डाला जा रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.


आशियाना बनाने में होगी जेब ढीली
असल में डीडीए में शामिल होने पर ग्रामीणों को जहां भवन निर्माण के लिए नक्शा पास करवाना जरूरी होगा, वहीं प्राधिकरण को भारी शुल्क भी देना होगा. यही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के निर्माण कार्यों में डीडीए के नियमों का पालन करना भी जरूरी होगा. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि प्राधिकरण में शामिल होने पर गांवों में शहरी कायदे-कानून पूरी तरह प्रभावी हो जाएंगे, जिससे ग्रामीणों को खासी दिक्कतें तो आएंगी ही, साथ ही आशियाना बनाने में जेब भी ढीली करनी पड़ेगी. पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी और डीडीए की उपाध्यक्ष रीना जोशी ने कहा कि सिर्फ पुराने फरमान पर अमल हो रहा है. बीते सालों में एक भी नए गांव को डीडीए में शामिल नहीं किया गया है.

पहाड़ के लोग कर रहे डीडीए का विरोध
असल में शहरों से सटे गांवों में नियोजित विकास के लिए डीडीए बनाए गए थे, लेकिन इनका विरोध खासकर पहाड़ी इलाकों में जबरदस्त तरीके से हुआ है. पहाड़ के लोग डीडीए को जहां अपने हक-हकूक के खिलाफ मानते हैं, वहीं इसके औचित्य पर सवाल उठाते रहे हैं. हालात ये हैं कि अल्मोड़ा में डीडीए के खिलाफ बीते 6 सालों से आंदोलन बदस्तूर जारी है.

ये गांव हैं शामिल
डीडीए में जिन गांवों को शामिल किया गया है, वे हैं- पपदेऊ, बजेटी (चंडाक), चंडाक मिशन, पुनेड़ी महर, सिलपाटा, धनौड़ा, नेड़ा, बस्ते, पंडा, सुजई, ओड़माथा, नैनीसैनी, मखौलिया गांव, देवलाल गांव, ढौला, चैंसर, मैथाना, किरीगांव, ऐंचोली, दाड़िमखोला, टकाड़ी, हुड़ेती, पौण और कासनी गांव.

Share:

Next Post

सवा सौ से ज्यादा ठेकेदार कल महापौर से मिलकर बताएंगे अपनी परेशानी

Wed Dec 6 , 2023
इन्दौर। नगर निगम (Nagar Nigam) की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल होने और ठेकेदारों का पेमेंट (Payment) अटकने के मामले को लेकर कल सवा सौ से ज्यादा ठेकेदारों का प्रतिनिधिमंडल महापौर (Mayor) से मुलाकात कर अपनी परेशानी बताएगा। दो दिन पहले निगम के चर्चित ठेकेदार पप्पू भाटिया ने पेमेंट अटकने के मामले को लेकर आत्महत्या कर ली […]