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बच्‍चों में दिख रहें ओमिक्रॉन के ये गंभीर लक्षण, आप भी भूलकर न करें अनदेखा

नई दिल्ली। पूरी दुनिया में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron variant) के बढ़ते मामलों से हड़कंप मच गया है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस वैरिएंट के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका (South Africa) और UK के डेटा के मुताबिक ये वैरिएंट बच्चों को ज्यादा शिकार बना रहा है। ब्रिटिश एक्सपर्ट्स के मुताबिक आने वाले समय में हर किसी के लिए ये वैरिएंट एक बड़ी चुनौती बनने वाला है।

युवाओं में ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण (Omicron symptoms)-
कोरोना (corona) के पिछले जितने भी वैरिएंट्स आए हैं उनके बच्चों पर बहुत हल्के या बिलकुल भी लक्षण नहीं देखे गए थे। एक्सपर्ट्स के अनुसार, फिलहाल ये नहीं कहा जा सकता कि ओमिक्रॉन की गंभीरता कितनी होगी, लेकिन इसके लक्षणों पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके। दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टर्स के मुताबिक ओमिक्रॉन के लक्षण हर किसी में अलग-अलग भी हो सकते हैं, लेकिन युवाओं में ज्यादा थकान, बदन दर्द और सिर दर्द इसके लक्षण हैं। डेल्टा(delta) की तरह इस वैरिएंट में लोगों को स्वाद और सुगंध जानें का एहसास नहीं हो रहा है। हालांकि कुछ लोगों को गले में बहुत ज्यादा खराश महसूस हो रही है।

बच्चों में ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा-
दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन वैरिएंट की चपेट में आए बच्चों की संख्या ज्यादा है। इनमें हल्के से लेकर गंभीर लक्षण भी देखे जा रहे हैं। यहां के क्रिस हानी बरगवनाथ एकेडमिक हॉस्पिटल की डॉक्टर रूडो मथिवा ने द सन को बताया, ‘अब यहां जो बच्चे आ रहे हैं उनमें मध्यम से लेकर गंभीर लक्षण देखे जा रहे हैं। इन्हें ऑक्सीजन, सपोर्टिव थेरेपी और ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रहने की जरूरत पड़ रही है। वो पहले की तुलना में ज्यादा बीमार हो रहे हैं।’


बच्चों में ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण (Omicron symptoms in kids)-
अमेरिका के नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के मुताबिक बच्चों में कोरोना के नए वैरिएंट के कुछ खास लक्षण देखने को मिल रहे हैं। जैसे कि तेज बुखार, लगातार खांसी आना (एक घंटे तक लगातार), थकान, सिर दर्द, गले में खराश और भूख ना लगना। दक्षिण अफ्रीका के अस्पतालों में कोरोना के युवा मरीजों और बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। खासतौर से 5 साल के छोटे बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की ज्यादा जरूरत पड़ रही है। इसकी एक वजह ये भी बताई जा रही है कि वैक्सीन ना लग पाने की वजह से बच्चे इस वैरिएंट की चपेट में आसानी से आ रहे हैं।

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