टेक्‍नोलॉजी

ChatGPT लाने में इन दो भारतीयों का बड़ा हाथ, लेकिन गूगल ने कराया नुकसान

नई दिल्ली: आजकल हर फील्ड में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की चर्चा है. वहीं कई सेक्टर्स में इसकी मदद ली जाने लग गई है. इस बीच सबसे ज्यादा दिमांड ChatGPT की है. ये ऐसा लैंग्वेज मॉडल है, जिसमें प्रोग्रामिंग के जरिए दुनियाभर की जानकारियां बड़ी तादाद में स्टोर हैं. ये चैटबॉट स्मार्ट तरीके से यूजर्स के सवालों का जवाब दे सकता है. क्या आपको मालूम है, ChatGPT के आने में भारत की बड़ी भूमिका है. इसके तैयार होने में दो भारतीयों का खास रोल रहा है. चैटजीपीटी भले ही 2015 में शुरू किया गया हो, लेकिन इसकी नींव गूगल में पहले ही पड़ गई थी.

गूगल ने पहले ही शुरू कर दिया था AI पर काम
काफी समय पहले गूगल की टीम में शामिल 8 रिसर्चर्स ने कंप्यूटर की स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए प्लान तैयार किया था. इसमें मेन फोकस बेहतर Text और इमेज जनरेट करने पर था. इसे लेकर रिसर्चर्स की टीम ने 5 सालों तक काम टेस्टिंग की. इसके बारे में ‘अटेंशन इस ऑल यू नीड’ नाम का रिसर्च पेपर पब्लिश किया गया. बाद में इसी रिसर्च पेपर की मदद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी को और बेहतर बनाया गया.
रिसर्चर्स की टीम में शामिल थे दो भारतीय
गूगल की टीम में 8 में से दो रिसर्चर्स भारतीय मूल के थे, जिनका नाम आशीष वासवानी और निकी परमार था. इस टीम ने स्पेशल ट्रांसफॉर्मर तैयार किया, जो डेटा को बेहतर तरीके मैनेज कर सकता था. साथ ही ये इंसानों की तरह Text और इमेज बना सकता था. गूगल ने इस रिसर्च पेपर को दूसरे रिसर्चर्स के साथ भी शेयर किया. हालांकि उस समय कंपनी ने खुद इस पर काम नहीं किया और मामला आगे नहीं बढ़ पाया.
ChatGPT से कैसे है भारतीयों का कनेक्शन
ChatGPT का फुल-फॉर्म है- चैट जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर. इसमें ट्रांसफॉर्मर का आर्किटेक्चर गूगल के ‘अटेंशन इस ऑल यू नीड’ रिसर्च पेपर की मदद से तैयार किया गया है. कुलमिलाकर आप समझ ही गए होंगे चैटजीपीटी के बनने में भारत का भी हाथ है.
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