ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

काम तो भाजपा-कांग्रेस दोनों का करना पड़ेगा
निगम अधिकारियों पर चढ़ाई करने पहुंचे महापौर परिषद के सदस्यों को उस समय झटका लगा, जब सबकी सुनने के बाद निगम आयुक्त हर्षिका सिंह ने दो टूक कह दिया कि मुझे तो भाजपा और कांग्रेस दोनों का काम करना पड़ेगा। यह सुनकर कई सदस्य बगले झांकने लगे। दरअसल अपने-अपने वार्डों की फाइलें अटकाने को लेकर उपायुक्तों की खूब शिकायत हुईं और सभी ने अपनी-अपनी भड़ास भी निकाली थी। वहीं एक ने तो कह दिया कि कांग्रेस के वार्ड में काम हो जाते हैं और हमारे कामों को तवज्जो नहीं मिल पाती है। बाहर आकर कुछ एमआईसी सदस्य फुसफुसाए कि देख लों, अभी ये हालत है। सरकार नहीं आई तो फिर क्या होगा? समझ में आ जाएगा। बात भी सही है भिया, ये पॉलीटिक्स है अगर पॉवर ही नहीं रहा तो फिर पद किस काम का रहेगा। भाजपाइयों को कांग्रेस के वो 18 महीने याद करना चाहिए।


मैसेज पार्षदों ने चलाए, मुसीबत अधिकारियों की
लाडली बहना योजना के दूसरे चरण में रजिस्ट्रेशन के लिए शहर के ही भाजपा पार्षदों ने जल्दबाजी में ऐसे मैसेज चला दिए कि अधिकारियों से महिलाएं विवाद करने लगीं। बिना जानकारी लिए पार्षदों ने मैसेज में लिख डाला कि 21 से 60 साल तक की महिलाओं का पंजीयन होगा। बस फिर क्या था महिलाएं पहुंच गई झोनल कार्यालय और बहस करने लगी कि हमें तो पार्षद ने बोला है। पार्षदों को फोन लगाया तो उन्होंने भी कह डाला कि इनका रजिस्टे्रशन कर लो, लेकिन जब सच्चाई मालूम पड़ी तो उन्हें मोबाइल बंद करना पड़े।
साहब दरकिनार?
कभी प्रदेश में साहब की तूती बोलती थी और उनके बिना पार्टी में कोई निर्णय लेनेे की हिम्मत किसी में नहीं थी, लेकिन बदलती भाजपा ने उन्हें किनारे कर दिया है। साहब को दो महीने पहले तक तो सक्रिय रूप से देखा जा रहा था, लेकिन जब से प्रबंधन टीम बनी है तब से साहब गायब हो गए हैं। उन्हें कहीं जगह नहीं मिली है। वैसे साहब का मन विधायक बनने का हैं, लेकिन लग नहीं रहा है कि अब साहब की चाहत पूरी होगी। यही हालत शहर की एक वरिष्ठ नेत्री की हैं, लेकिन वे कभी-कभी हस्तक्षेप कर बता देती हैं कि उनकी अभी भी पार्टी में सुनी जाती है।
अयोध्या के किले में बार-बार सेंध क्यों?
चार नंबर में फिर पिटाई कांड हो गया और इस बार भी भाजपाई ही पिटा गया। वैसे चार नंबर विधानसभा की अयोध्या के कर्ताधर्ताओं का अपने ही कार्यकर्ताओं से विवाद कोई नई बात नहीं है। अब यह साजिश है या सत्य घटनाएं, इसको वे ही जानें, जिनके नाम इसमें आते रहे हैं। वैसे कहा जा रहा है कि अयोध्या में सेंध लगाई जा रही है। इस बार जो पिटाएं वे लोधीपुरा के पास ही रहते हैं। बता रहे हैं कि किसी मामले में उन्हें समझाया जा रहा था और लगातार उन्हें लोधीपुरा वाले ऑफिस पर बुलाया जा रहा था, लेकिन वे जाने को तैयार नहीं थे, जिस दिन गए उस दिन उनकी पिटाई हो गई। इसके पहले एक सांसद प्रतिनिधि और एक उनके विरोधी भी अयोध्या में पिटाई और दुव्र्यवहार का आरोप लगा चुके हैं। मामला थाने तक भी पहुंचा है। अगर ऐसा ही रहा तो अयोध्या के राजकुमार के लिए टिकट की राह आसान नहीं हो पाएगी, फिर चाहे यहां की राजमाता कितनी ही कोशिश क्यों न कर लें।
कांग्रेसी दावेदार की सोशल मीडिया में किरकिरी
शहर की एक बड़ी विधानसभा से टिकट की दावेदारी कर रहे पढ़े-लिखे कांग्रेसी की इन दिनों सोशल मीडिया पर उनके विरोधी किरकिरी कर रहे हैं। जैसे ही वे अपने अभियान या कोई ऐसी जानकारी देते हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में लिखा जाता है इतने पढ़े-लिखे होने के बावजूद लोगों को विजन देने या शहर के बारे में उनकी प्राथमिकता बताने की बजाय वे धर्म का सहारा ले रहे हैं। किसी-किसी ने तो यह तक लिख दिया कि कोई पढ़ाई की योजना लाओ, रोजगार की योजना लाओ, ताकि युवाओं को एक नई दिशा मिल सके। इन ढोंग-धतुरों से कुछ नहीं होने वाला।


अल्पसंख्यक मोर्चे से रवानगी
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के सितारे शुरु से ही गर्दिश में चल रहे हैं। जैसे-तैसे टीम बनी, लेकिन उसमें एकता नहीं बन पा रही है। सोशल मीडिया पर टीम के ही कुछ लोग भाजपा के बारे में अनाप-शनाप लिख देते हैं। ऐसे ही एक पदाधिकारी ने अपना इस्तीफा सोशल मीडिया पर डाल दिया। वैसे उक्त पदाधिकारी के पिता कांग्रेसी होकर भाजपा पर टिप्पणी करते रहते ही है।


आदिवासी युवाओं को बार-बार देनी पड़ी सफाई
कल ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुई आदिवासी महापंचायत तो यूं तो गैर राजनीतिक आयोजन बताया गया था, लेकिन पर्दे के पीछे कांग्रेस के नेताओं की उपस्थिति बता रही थी कि आयोजन में कहीं न कहीं कांग्रेस का हाथ भी है। हालांकि मंच से आदिवासी नेता बार-बार कहते रहे कि ये आयोजन गैर राजनीतिक हैं और आदिवासी युवा महापंचायत इसे कर रही हैं, लेकिन जिस तरह से दिग्विजयसिंह, कन्हैया कुमार और कमलनाथ ने अपना भाषण दिया, उससे मोहर लग गई कि आयोजन के पीछे कांग्रेस का हाथ था। हालांकि इसके बाद भी आयोजक सफाई देने से नहीं चूके कि हमने तो सत्ता पक्ष से भी बात करना चाही थी, लेकिन उन्होंने हम पर लाठी चलवाई, इसलिए हमें विपक्ष के नेताओं को बुलाकर अपनी बात रखना पड़ी।


अल्पसंख्यक मोर्चे से रवानगी
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के सितारे शुरु से ही गर्दिश में चल रहे हैं। जैसे-तैसे टीम बनी, लेकिन उसमें एकता नहीं बन पा रही है। सोशल मीडिया पर टीम के ही कुछ लोग भाजपा के बारे में अनाप-शनाप लिख देते हैं। ऐसे ही एक पदाधिकारी ने अपना इस्तीफा सोशल मीडिया पर डाल दिया। वैसे उक्त पदाधिकारी के पिता कांग्रेसी होकर भाजपा पर टिप्पणी करते रहते ही है।
आदिवासी युवाओं को बार-बार देनी पड़ी सफाई
कल ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुई आदिवासी महापंचायत तो यूं तो गैर राजनीतिक आयोजन बताया गया था, लेकिन पर्दे के पीछे कांग्रेस के नेताओं की उपस्थिति बता रही थी कि आयोजन में कहीं न कहीं कांग्रेस का हाथ भी है। हालांकि मंच से आदिवासी नेता बार-बार कहते रहे कि ये आयोजन गैर राजनीतिक हैं और आदिवासी युवा महापंचायत इसे कर रही हैं, लेकिन जिस तरह से दिग्विजयसिंह, कन्हैया कुमार और कमलनाथ ने अपना भाषण दिया, उससे मोहर लग गई कि आयोजन के पीछे कांग्रेस का हाथ था। हालांकि इसके बाद भी आयोजक सफाई देने से नहीं चूके कि हमने तो सत्ता पक्ष से भी बात करना चाही थी, लेकिन उन्होंने हम पर लाठी चलवाई, इसलिए हमें विपक्ष के नेताओं को बुलाकर अपनी बात रखना पड़ी।

मध्यप्रदेश कांग्रेस की मीडिया टीम में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सूत्रों ने खबर उड़ाई है कि अध्यक्ष द्वारा एक पत्र लिखकर सभी जवाबदारों को उनके कामों के बारे में जानकारी दी गई है और कहा कि दूसरे के कामों में हस्तक्षेप न करें और एक होकर काम करें, लेकिन अलग-अलग गुटों से मीडिया विभाग में आए नेता अपनी वाली चलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। भोपाल के खबरीलाल कह रहे हैं कि एक विकेट चटकाने के बाद जल्द ही दूसरा विकेट गिराने की बारी है। -संजीव मालवीय

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