ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


पूर्व महिला पार्षदों ने खड़े कर दिए हाथ
आजीवन सहयोग निधि को लेकर भाजपा के बड़े नेता हर क्षेत्र में बैठक कर रहे हैं। चार नंबर में हुई बैठक में जब एक भाजपा नेता ने कहा कि हर बूथ से 50 हजार रुपए इकट्ठा करना कोई बड़ी बात नहीं है तो कुछ पूर्व महिला पार्षद नाराज हो गईं। उन्होंने हाथ खड़े करते हुए कहा कि हमसे तो इतनी राशि इक_ा नहीं हो पाएगी, तुम ही इक_ा कर लेना। मामला बढ़ता देख बड़े नेता बीच में कूदे और कहा कि जिसको जमा करना है वो करें, जिसको नहीं करना है वो संगठन देख लेगा। वैसे आजीवन सहयोग निधि को लेकर अलग-अलग राय सामने आ रही है और इस भारी-भरकम टारगेट को लेकर कुछ नेता भी नाराज हैं।

भाजपा की पोल खोलते चिंटू के बोल
मोहन सेंगर के भाजपा में जाते ही दो नंबरी कांग्रेस में चिंटू चौकसे का बोलबाला हो गया है। निगम चुनाव सामने हैं और चिंटू जिस तरीके से तैयारी कर रहे हैं, उससे लग रहा है कि अब 2023 में विधायक का टिकट भी वे लाएंगे। वार्डों में हो रही बैठक में चिंटू ये बखान नहीं करना भूलते कि भाजपा की सरकार में वे किस तरह से अपने क्षेत्र में एकतरफा काम करवा रहे हैं। मुंह मिया मि_ू बन बैठे चिंटू कहते हैं कि मुझे काम कराना आता है। इस दौरान वे क्षेत्र के भाजपा पार्षदों और विधायकों की पोल खोलने से भी नहीं चूंक रहे हैं।

उस्मान की भाजपा में आने की तड़प
जोश-जोश में कांग्रेस के झंडे तले गए उस्मान पटेल अब ठंडे हो गए हैं और जुगाड़ भिड़ा रहे हैं कि कैसे भी अब भाजपा में वापसी हो जाए। इसके लिए उन्होंने एड़ी-चोंटी का जोर लगाना शुरू कर दिया और शहर के एक कद्दावर नेता जब कभी भी इंदौर आते हैं तो वे एयरपोर्ट पर पहुंच जाते हैं और भाईसाब को याद दिलाना नहीं भूलते कि मेरे बारे में कुछ सोचें। भाईसाब ने आश्वासन तो दिया है, लेकिन उस्मान के खिलाफ जो हवा भाजपा में बनी है, वो उन्हें वापस पार्टी में नहीं आने देना चाहती है।

शुक्ला महापौर प्रत्याशी तो बढ़े दावेदार
कांग्रेस ने जब से विधायक संजय शुक्ला को अघोषित रूप से महापौर प्रत्याशी घोषित कर रखा है, तब से शुक्ला के ईर्द-गिर्द कांग्रेसियों की भीड़ बढ़ती जा रही है। इनमें उनकी संख्या अधिक है जो अपने-अपने वार्ड से चुनाव लडऩा चाहते हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, जिनको शुक्ला से आर्थिक उम्मीद भी हंै। शुक्ला के सहारे अपनी राजनीतिक नांव तिराने वाले कांग्रेसी को शुक्ला समर्थक पचा भी नहीं पा रहे हैं और मौका मिलते ही बता रहे हैं कि ये बरसाती मेंढक है, चुनाव बाद अपने यहां फटकेंगे भी नहीं, लेकिन शुक्ला सबको हंसकर गले लगा रहे हैं और टिकट दिलाने की भी बात कर रहे हैं। वैसे शुक्ला 1 नंबर की राजनीति से बाहर भी दूसरी विधानसभाओं में अपने समर्थकों के माध्यम से पैठ बनाने में लगे हैं।

चुनाव के पहले दो भागों में नजर आ रही कांग्रेस
कांग्रेस में गुटबाजी हमेशा से हावी रही है और बड़े नेता भी सार्वजनिक मंच पर ये बात कह चुके हैं और तो और खुद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले वर्ष सार्वजनिक रूप से कहा था कि कांग्रेस भाजपा से नहीं खुद से ही हारती है। बावजूद इसके बड़े नेता सबक नहीं लेते। एक बार फिर इंदौर कांग्रेस अलग-अलग गुटों में बंटी नजर आ रही है। सामने से तो सब एक होने का दिखावा कर रहे हैं, लेकिन गांधीभवन से दूर बंद पड़े नीलकमल टॉकीज परिसर में कांग्रेस के नेता नियमित बैठ रहे हैं और यहां बैठक भी हो रही है। पड़ताल की तो मालूम पड़ा कि बाकलीवाल के आगे-पीछे जो कांगे्रस हैं वो अपने आपको कम नहीं आंक रही और यही कांग्रेस के थाटी नेताओं को हजम नहीं हो रहा है।

प्रदेश कार्यकारिणी घोषित होने के बाद विधायक मेंदोला को ढूंढा जा रहा है। बताया जा रहा है कि दयालु नाराज हैं और इसी कारण वे दीनदयाल भवन से दूर हंै। इस पर दयालु के गणों का कहना है कि दादा कनकेश्वरी देवी द्वारा की जा रही नर्मदा प्ररिक्रमा में व्यस्त हैं। हालांकि जब काम होता है तब वे इंदौर आ जाते हैं और फिर यहां से निकल जाते हैं। वैसे वे आज इंदौर में ही हैं।

-संजीव मालवीय

 

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