ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

अब तो तौबा करने लगे भाजपा कार्यकर्ता
पहले बूथ विस्तारक और अब समर्पण निधि अभियान में लगे भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता इस काम से तौबा करने में लगे हैं। हालात यह है कि कई नेताओं ने हाथ जोड़ लिए हैं और अगली बार उनका नाम सूची से हटाने तक का कह दिया है। कार्यकर्ताओं की तो हालत और भी खराब है। जिन कार्यकर्ताओं की रोजी-रोटी का साधन रोज कमाना-खाना है, वो भी अभियान में इस तरह जुटे हैं कि घर का काम हो। ऐसे कार्यकर्ता भी अब कन्नी काटने में लगे हैं, वहीं कुछ कार्यकर्ताओं का तो यह भी कहना है कि कोई कार्पोरेट कंपनी ऐसा काम नहीं करवाती, जैसा भाजपा के नेता करवा रहे हैं। टारगेट पूरा नहीं करने पर प्रभारियों की सुनना पड़ रही है। पुराने नेताओं का तो यह भी कहना है कि ऐसा आज तक नहीं हुआ। जिस तरह से समर्पण निधि का टारगेट दिया गया है, उससे लग रहा है कि ये समर्पण नहीं, बल्कि जर्बदस्ती लेने वाली निधि है। ये सभी बातें हम नहीं, बल्कि वे कार्यकर्ता कह रहे हैं, जो सार्वजनिक स्थानों पर अपनी भड़ास निकालने से नहीं चूक रहे हैं।
फिर सक्रिय हो गए पांच नंबरी नेता
पांच नंबर विधानसभा से आने वाले और संघ के साथ-साथ संगठन में अपनी पकड़ रखने वाले एक नेता फिर सक्रिय हैं। महापौर की दावेदारी करने वाले ये नेता अब घर-घर भगवा फहराने की तैयारी में हैं और इसके लिए उन्होंने अपनी धार्मिक संस्था के साथ-साथ भाजपा कार्यकर्ताओं को लेकर एक बड़ा अभियान भी शुरू कर दिया है। गुडी पड़वा के पहले वे हर घर में भगवा फहराना चाहते हैं और इसको लेकर एक बड़ी बैठक भी कर चुके हैं।
वो बोलीं…अर्चना को बुला लूं?
गांधी भवन में कांग्रेस के सदस्यता अभियान और चुनाव को लेकर बैठक थी। वहां जल्दी पहुंची बुरहानपुर की एक कांग्रेस नेत्री ने वरिष्ठ नेताओं से कहा कि अर्चना दीदी का फोन नहीं लग रहा है, उन्हें भी बैठक में बुला लंू क्या? इस पर वहां बैठे नेता एक-दूसरे का मुंह देखने लगे, क्योंकि जिस तरह से अर्चना को महिला कांग्रेस की सीट से हटाया है, उससे कोई भी नेता अभी उनके पक्ष में खड़ा नहीं दिख रहा है। नेताओं का मुंह देख, कांग्रेस नेत्री ने भी चुप रहना ही उचित समझा।
वानखेड़े की नजर अब इंदौर की पिच पर तो नहीं?
छात्र राजनीति में धमाल मचाने वाले और युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके विपिन वानखेड़े आगर-मालवा के विधायक तो बन गए हैं, लेकिन उनका आधा समय इंदौर में ही गुजरता है। उनका इंदौर में भी घर हैं। गुरुवार को विपिन का जन्मदिन था और हर बार की तरह उन्होंने अपना जन्मदिन इंदौर में ही मनाया। हर बार वे जन्मदिन की औपचारिकता निभाते थे, लेकिन इस बार उन्होंने अपने समर्थकों के लिए दावत भी रखी। विपिन को बधाई देने कांग्रेस के कई नेता भी पहुंचे। विपिन की स्टाइल को देखकर लग रहा है कि अगला दांव उनका इंदौर की किसी विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे का है और इसके लिए 5 नंबर तथा राऊ उन्हें नजर आ रहा है। विपिन के नजदीकियों का कहना है कि वानखेड़े की राजनीतिक पिच तो इंदौर में हैं ही, केवल वे उसे अब फिर से फिट करने में लगे हैं और यह सही है तो इंदौर की इन दो सीटों के दावेदार ऊपर-नीचे हो सकते हैं।
तुलसी के आंगन में नजर आने लगे
छात्र जमाने से राजेश सोनकर के साथ एबीवीपी की राजनीति करने वाले एक नेता जो सोनकर के साथ ही अक्सर घूमते दिखते थे, वे अब मंत्री तुलसी सिलावट की गाड़ी से उतरते हुए नजर आते हैं। ऐसे ही हाल कुछ और लोगों के हैं, जो पहले तो सोनकर के आगे-पीछे घूमने से नहीं थकते थे, लेकिन अब तुलसी के आंगन में अपनी शोभा बढ़ा रहे हैं। सही भी है संगठन में रहकर मेहनत करने से अच्छा है, सत्ता में रहने वाले लोगों के साथ रहकर मलाई का आनंद लिया जाए।
आकाश विजयवर्गीय से आगे निकलने की तैयारी
मुख्यमंत्री शिवराजसिहं चौहान ने सभी विधायकों से कहा हैकि वे युवाओं को साथ लेकर अपने-अपने क्षेत्र में क्रिकेट स्पर्धा करवाएं और उन्हें खेल से जोड़े। ये आयोजन मार्च में होना है, लेकिन आकाश विजयवर्गीय इसमें आगे निकल गए हैं। उन्होंने 23 फरवरी से ही 300 टीमों को मैदान में उतारकर बड़ा मजमा जमा लिया है। अब दूसरे विधायक पसोपेश में है कि आकाश से आगे कैसे निकले और ऐसा क्या करें कि मुख्यमंत्री के सामने वाहवाही हो। वैसे अभी तक इंदौर की बची 8 विधानसभा में कोई कार्यक्रम तय नहीं हुआ है।
दीनदयाल भवन में प्रकट हो गए ‘हरिराम’
भाजपा में इन दिनों एक नई प्रथा जन्म ले रही है। हालांकि कान भरने की इस प्रथा को कुछ लोग हरिराम भी कहते हैं। ऐसे ही कुछ लोग शोले फिल्म के हरिराम की प्रवृत्ति अपनाकर अपने आपको बड़े नेताओं के करीब लाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उस चक्कर में कार्यालय की व्यवस्था गड़बड़ा रही है। इस टाइप के लोग नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के कानों तक मिर्च-मसाला लगाकर किसी भी बात या घटना का तिल का ताड़ बना देते हैं तो अपने आका नेताओं तक भी कार्यालय की गतिविधियों की जानकारी पहुंचाते हैं। कान के कच्चे कुछ नेता इसे सही समझ बैठते हैं और इसी चक्कर में पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाने वाले नेता बाहर हो जाते हैं।
पिछली बार आजीवन सहयोग निधि अभियान से असहयोग कर दूर रहने वाले दो नंबरी नेता इस बार जिस तरह से बढ़-चढक़र समर्पण निधि इक_ा करने में रूचि ले रहे हैं, उससे संगठन के दूसरे नेता और उनके विरोधी भी दंग हैं। दो नंबरियों का दांव सब समझने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन समझ किसी को नहीं आ रहा है। -संजीव मालवीय

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