इंदौर। भंवरकुआं थाने (Bhanwarkuan Police Station) में छात्रा मंजु तंवर की शिकायत पर देवी अहिल्या पैरामेडिकल आनंद नगर के कर्ताधर्ता अजय हार्डिया, मनीषा शर्मा, पुष्पा वर्मा सहित संस्था के आधा दर्जन कर्मचारियों पर एफआईआर हुई है। बताया जा रहा है कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा की गई सूचियों की गड़बड़ी का खामियाजा इन छात्रों को भुगतना पड़ा और इनसे फीस लेकर भी द्वितीय वर्ष की परीक्षा से वंचित रखा गया। बाद में इन छात्रों का इस्तेमाल करते हुए इनसे ही डीएवीवी के खिलाफ एक याचिका पर हस्ताक्षर कर कोर्ट में लगवा दी। छात्रा ने इसकी शिकायत 2019 में की थी।
छात्रा ने शिकायत में बताया था कि उसने 2014-15 में डीएमएलटी कोर्स के लिए एडमिशन लिया था और छात्रा सहित सभी छात्र परीक्षा में सम्मिलित हुए, लेकिन उक्त बैच के 17 छात्रों का रिजल्ट रोक दिया गया। इसका कारण कॉलेज प्रबंधन द्वारा डीएवीवी में भेजी गई छात्रों की सूची था। प्रबंधन ने इन छात्रों के नाम सूची में डीएमएलटी कोर्स के बजाय डीओआर कोर्स के पहुंचा दिए। बाद में छात्रों की शिकायत पर सूची में हेरफेर की जांच के बाद संयोगितागंज पुलिस ने कॉलेज प्रबंधन के दोषियों के खिलाफ जालसाजी का केस दर्ज किया था। आरोप है कि 2015-16 की डीएमएलटी सेकंड ईयर की परीक्षा आयोजित होने के कुछ दिन पहले प्रिंसिपल मनीषा शर्मा द्वारा छात्रों को कहा गया कि 17 छात्रों ने जो केस संयोगितागंज थाने में दर्ज करवाया है, उसके चलते विश्वविद्यालय छात्रों को प्रवेश पत्र नहीं दे रहा है। उन्होंने बरगलाकर एक शपथ पत्र निष्पादित करवाकर कुछ छात्रों के दस्तखत करवा लिए। उसे छात्राओं को पढ़ाया नहीं गया और दस्तखत किए छात्रों के माध्यम से उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका प्रस्तुत करवा दी। ठीक एक दिन पहले हमें प्रवेश पत्र दिए गए और हमारी परीक्षा कराई गई। याचिका में जिनके हस्ताक्षर थे उनके रिजल्ट घोषित नहीं हुए तो हम प्रिंसिपल के पास गए और वे रिजल्ट आने का भरोसा देते हुए कहने लगीं कि याचिका का निराकरण होने के बाद रिजल्ट आएंगे।
यह भी आरोप
छात्रों का यह भी आरोप है कि भोपाल पैरामेडिकल काउंसलिंग में जो सूची भेजी गई थी उसमें उनका नाम नहीं भेजते हुए दूसरी सूची भेजी, जबकि डीएवीवी और भोपाल भेजी गई सूची भी अलग थी। कॉलेज प्रबंधन ने सूची में न सिर्फ छात्रों के नाम की गड़बड़ी की है, बल्कि जो लिस्ट पैरामेडिकल भोपाल में 7 दिसंबर 2017 को भेजी गई थी, उसमें प्रिंसिपल का नाम पुष्पा वर्मा और डायरेक्टर अजय हार्डिया को बताया गया था। वहीं डीएवीवी को भेजी गई लिस्ट में प्रिंसिपल की जगह अजय हार्डिया के हस्ताक्षर हैं, जबकि कुछ दस्तावेजों में आरके बंसल के फर्जी हस्ताक्षर हैं।
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