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साल में एक बार दिखता है महाकाल का ये खास रूप, भोलेनाथ एक साथ पांच स्वरूपों में देते है दर्शन

उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में वैसे तो प्रतिदिन ही बाबा महाकाल (Baba Mahakal) का अनेक स्वरूपों में श्रृंगार किया जाता है. लेकिन शिव नवरात्रि (shiv navratri) के अंतिम दिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर एक अवसर ऐसा आता है, जब बाबा महाकाल अपने भक्तों को एक या दो नहीं बल्कि, पूरे पांच स्वरूपों में दर्शन देते हैं. मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इन पांच स्वरूपों के दर्शन कर लेता है, उन्हें शिव नवरात्रि में बाबा महाकाल के सभी दर्शन करने का पुण्य लाभ अर्जित हो जाता है.

प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सोमवार को भगवान महाकाल ने अपने भक्तों को एक साथ अपने पांच स्वरूपों छबीना, मनमहेश, उमा-महेश, होलकर और शिवतांडव के दर्शन दिए. भगवान के पांच स्वरूपों के दर्शनों को पांच मुखारविंद दर्शन कहा जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, महाशिवरात्रि के बाद फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा पर चंद्र दर्शन के दिन साल में सिर्फ एक बार ही भक्तों को भगवान के इस अद्भुत स्वरूप के दर्शन होते हैं.

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिवर्ष परंपरानुसार, फाल्गुन कृष्ण पंचमी से फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी महाशिवरात्रि तक 9 दिन तक शिव नवरात्रि का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है, इन्हीं दिनों में प्रतिदिन पुजारी भगवान महाकाल का श्रृंगार करते हैं. मंदिर के पुजारी अभिषेक शर्मा बताते हैं कि भगवान शिव को पंचानन कहा जाता है और वे पांच स्वरूप में जगत का कल्याण करते हैं. इसीलिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन ही एक ऐसा अनोखा अवसर होता है, जब बाबा महाकाल चंद्र दर्शन के दिन साल में सिर्फ एक बार भक्तों को एक साथ पांच स्वरूपों में दर्शन देते हैं.


पुजारी पंडित अभिषेक शर्मा बताते हैं कि पंच मुखारविंद श्रृंगार में सोमवार को बाबा महाकाल को एक साथ पांच मुखारविंद धारण कराए गए जिसके बाद बाबा महाकाल ने अपने भक्तों को छबीना, मनमहेश, उमा-महेश, होलकर और शिव तांडव रूप के एक साथ दर्शन दिए. मान्यता है कि जो श्रद्धालु शिव नवरात्रि के दौरान भगवान के दर्शन नहीं कर पाते हैं यदि वे एक साथ पांच मुखारविंद के दर्शन करते हैं तो उन्हें पूरी शिव नवरात्रि का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है. इसीलिए बाबा महाकाल के पांच मुखौटा दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचते हैं और इन दर्शनों का लाभ लेकर पुण्य अर्जित करते हैं.

बताया जाता है कि आज ही वह शुभ दिन है जब भगवान शिव ने चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया था. श्री महाकालेश्वर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि संध्या पूजन के बाद पुजारियों ने भगवान का एक साथ पांच रूपों में श्रृंगार किया था. जिसके बाद भक्तों को शयन आरती तक पंचमुखारविंद के दर्शन हुए.

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