वॉशिंगटन। दुनिया की बड़ी फार्मा कंपनियां (Big Pharma Companies) अब कोरोना वैक्सीन (Covid Vaccine) के बाद महामारी की दवाओं (Medicine) पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं. बीते एक महीने के दौरान फाइज़र (Pfizer) और मर्क (Merck) जैसी कंपनियों ने कोरोना की एंटी-वायरल ड्रग बनाने की घोषणा की है. अब एस्ट्राजेनेका कंपनी की एंटीबॉडी थेरेपी (AstraZeneca antibody Therapy) क्लीनिकल ट्रायल में कोरोना से बचाव में बेहद कारगर दिखी है. कंपनी का दावा है कि उसकी एंटीबॉडी थेरेपी क्लीनिकल ट्रायल में 83 फीसदी कारगर दिखी है. ये थेरेपी एक एंटीबॉडी कॉकटेल है जो इंजेक्शन के माध्यम से मरीजों को दी जाती है.
इस इंजेक्शन या एंटीबॉडी थेरेपी को AZD7442 नाम दिया गया है. कंपनी ने दावा किया है क्लीनिकल ट्रायल में जिन मरीजों को एंटीबॉडी का सिंगल इंजेक्शन दिया गया उनमें 83 प्रतिशत लोगों में कोरोना के गंभीर लक्षण विकसित नहीं हुए. इस थेरेपी के तीन महीने पहले किए गए परीक्षण में सामने आया था कि ये इंजेक्शन मरीजों में महामारी को गंभीर होने से रोकने में 77 प्रतिशत तक कारगर है.
कंपनी का कहना है कि छह महीने के ट्रायल के दौरान जिन लोगों में इस इंजेक्शन का इस्तेमाल किया गया, उनमें से अब तक कोई भी गंभीर रूप से कोरोना पीड़ित नहीं हुआ और न ही किसी की मौत हुई है. इसी ट्रायल के दौरान लोगों को प्लेसेबो दिया गया था उनमें से पांच को गंभीर रूप से कोरोना संक्रमण ने जकड़ लिया.
हाई रिस्क वाले लोगों को किया गया था शामिल
इस ट्रायल में 75 फीसदी लोग कोरोना के हाई रिस्क ग्रुप में थे. बेहद कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को चुना गया या फिर ऐसे लोगों को जिन पर वैक्सीन का असर भी कम था. दरअसल एस्ट्राजेनेका के मुताबिक दुनिया के 2 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनमें वैक्सीन सामान्य रूप से प्रभावकारी नहीं होती है. इनमें डायलिसिस मरीज, कीमोथेरेपी के मरीज शामिल हैं.
इन देशों में हुआ ट्रायल
इस थेरेपी के तीसरे फेज का ट्रायल पांच देशों की 87 जगहों पर किया गया. ये देश हैं- अमेरिका, यूके, स्पेन, बेल्जियम और फ्रांस. तीसरे फेज के ट्रायल में 5197 लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से 3460 लोगों को 330 मिलीग्राम AZD7442 का डोज दिया गया वहीं 1737 लोगों को प्लेसेबो दिया गया.