चुनाव 2024 देश राजनीति

इस बार छग को सरगुजा से CM मिलने की उम्मीद! BJP ने रेणुका सिंह पर जताया भरोसा

रायपुर (Raipur)। सरगुजा संभाग (Surguja Division) के मतदाताओं का मन-मिजाज बदला (mood of the voters changed) नजर आ रहा है। मूल सुविधाओं से जूझते क्षेत्र के मतदाताओं ने पिछले चुनाव में बड़ी उम्मीद से कांग्रेस (Congress) को सभी 14 सीटें न्योछावर कर दी थीं। उन्हें उम्मीद थी कि राजपरिवार के टीएस बाबा (उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव) (TS Baba (Deputy Chief Minister TS Singhdev) मुख्यमंत्री बनेंगे पर ऐसा हुआ नहीं। मतदाताओं को इस बार भरतपुर-सोनहत से भाजपा प्रत्याशी जनजातीय मामलों की केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह (Union Minister of State Renuka Singh) में नई उम्मीद नजर आई है। उनके समर्थक दावा कर रहे हैं कि भाजपा आई तो प्रदेश को पहली आदिवासी महिला मुख्यमंत्री (First tribal woman chief minister) सरगुजा से ही मिलेगी। केंद्र में मंत्री होने के नाते मतदाता भी दावों में दम देख रहे हैं।


बुनियादी सुविधाओं, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में उम्मीद के अनुरूप काम न कर पाने से कांग्रेस की राह आसान नहीं है। सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए पार्टी ने चार विधायकों के टिकट काटे हैं। इससे हुई बगावत थम नहीं रही। भाजपा इसे अवसर के रूप में देख रही है। इस बार 12 सीटों पर नए प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें रेणुका सिंह, रायगढ़ से सांसद गोमती साय और पूर्व केंद्रीय मंत्री व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे विष्णुदेव साय हैं। अवैध धर्मांतरण पर मुखर भाजपा ने लुंड्रा सीट से जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए मसीही समाज के प्रबोध मिंज को मैदान में उतारा है।

अंबिकापुर : सिंहदेव के सामने भाजपा से उनके ही करीबी राजेश
तीन बार से विधायक सिंहदेव के सामने भाजपा ने उनके ही करीबी और पुराने कांग्रेसी राजेश अग्रवाल को मैदान में उतारा है। अंबिकापुर में उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के मूलनिवासियों की संख्या स्थानीय लोगों से अधिक है। अधिकतर व्यापार-कारोबार यही लोग संभाल रहे हैं। आदिवासी मतदाता यहां निर्णायक की भूमिका में हैं। जिस कोयला खदान को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर सियासत चल रही है, वह इस क्षेत्र के उदयपुर में है। राजपरिवार के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय है। शहर के रवि देवांगन कहते हैं, पिछले चुनाव में जिस उम्मीद से बाबा को जीत दिलाई गई थी, उसके पूरी नहीं होने से निराशा है। यूपी के सोनभद्र के मूल निवासी व्यापारी पप्पू जायसवाल ने कहा, भाजपा प्रत्याशी शहर के लिहाज से तो ठीक हैं, लेकिन इस सीट पर ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं का रुख हार-जीत तय करता है।

सीतापुर : जवान टोप्पो ने बढ़ाई चार बार के विधायक और मंत्री भगत की मुसीबत
केंद्रीय सशस्त्र बल से वीआरएस लेकर सियासत में आए 32 साल के रामकुमार टोप्पो ने लगातार चार बार के विधायक और मंत्री अमरजीत भगत की जमीन हिला दी है। वीरता पुरस्कार से सम्मानित टोप्पो की युवाओं में जबर्दस्त लोकप्रियता से भगत सशंकित हैं। मसीही समाज भी भगत से बिफरा हुआ है। वजह यह कि संघ और भाजपा के धर्मांतरण विरोधी अभियान के खिलाफ भगत मसीही समाज के पक्ष में खुलकर नहीं आए। मसीही समाज ने स्वतंत्र उम्मीदवार भी उतार दिया है। इलाके से ताल्लुक रखने वाले गोविंद साहू के अनुसार, लगातार चार कार्यकाल के बाद भी अमरजीत भगत ने क्षेत्र के विकास पर ध्यान नहीं दिया। टोप्पो युवा हैं और आधारभूत सुविधाओं के लिए तरसते मतदाताओं में उन्होंने उम्मीद जगाई है।

भरतपुर सोनहत : भाजपा की उम्मीद बड़ी रेणुका पर बाहरी का ठप्पा, गुटबाजी में फंसीं
अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित भरतपुर सोनहत से मैदान में उतरीं केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह की राह आसान नहीं है। पार्टी के स्थानीय दावेदार चुनाव में खास दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। वहीं कांग्रेस स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा उठाए फिर रही है। रेणुका सोनहत इलाके को अपना मायका बताने में मेहनत कर रही हैं। 2008 और 2013 में भाजपा इस सीट पर काबिज रही। पिछले चुनाव में कांग्रेस के गुलाब कमरो भाजपा से यह सीट छीनने में कामयाब रहे। इस बार भी पार्टी ने उन्हीं पर भरोसा जताया है। यहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) का लगातार बढ़ता जनाधार भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए खतरे की घंटी है। 2008 में गोंगपा प्रत्याशी ने यहां से लगभग नौ हजार, 2013 में 18 हजार और 2018 में 26 हजार से अधिक वोट पाए। सोनहत कस्बे में एक दुकान पर मिले मन्नूलाल कंवर बताते हैं, भाजपा ने क्षेत्र के विकास के लिए कोई काम नहीं किया। पिछली बार जीते कांग्रेस के गुलाब कमरो ने भी खास काम नहीं किया। सोनहत के कई ग्रामीण इलाकों में पहुंचने के लिए सड़क तक नहीं है।

पत्थलगांव : रामपुकार के अनुभव को सांसद गोमती की चुनौती
पत्थलगांव सीट पर कांग्रेस से आठ बार के विधायक रामपुकार सिंह के सामने भाजपा ने रायगढ़ सांसद गोमती साय को उतारकर मुकाबला कड़ा कर दिया है। यह इलाका काफी पिछड़ा हुआ है। संपर्क मार्गों की तो छोड़ें, मुख्य सड़कें भी बदहाल हैं। दूसरी तरफ, गोमती के लिए भी स्थानीय संगठन से सामंजस्य बैठाने की चुनौती है।

जशपुर : जूदेव परिवार की साख दांव पर
पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव के 2013 में निधन के बाद भी जशपुर और आसपास के इलाकों में जूदेव परिवार का दबदबा कायम है। जूदेव परिवार की बहू संयोगिता सिंह बिलासपुर संभाग की चंद्रपुर सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं। संयोगिता दिलीप सिंह जूदेव के छोटे बेटे स्वर्गीय युद्धवीर सिंह की पत्नी हैं। दिलीप जूदेव के मंझले बेटे प्रबल प्रताप सिंह को भाजपा ने कोटा सीट से अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी के खिलाफ उतारा है।

मैनपाट : छत्तीसगढ़ के तिब्बत में विकास की दरकार
अंबिकापुर से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित मैनपाट की वादियों को छत्तीसगढ़ का तिब्बत कहा जाता है। बताते हैं कि वर्ष 1962 के दौरान तिब्बत में विद्रोह के बाद वहां के शरणार्थियों को यहां भी बसाया गया। तिब्बतियों का जीवन एवं बोध मंदिर यहां आकर्षण का केंद्र है। सर्दियों में यहां का तापमान शून्य से नीचे भी चला जाता है। यह मांड और रिहंद नदी का उद्गम स्थल भी है। यह पामेरियन कुत्तों और कालीन के लिए भी जाना जाता है। हालांकि, इतनी विशेषताओं के बाद भी तमाम सरकारें आईं और गईं पर यहां पर्यटन की संभावनाओं को अवसर में बदलने की इच्छाशक्ति किसी ने नहीं दिखाई।

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