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आज है मौनी अमावस्‍या, ऐसे करें भगवान विष्‍णु की पूजा अर्चना, सब दुख होंगे दूर

आज यानि 11 फरवरी को मौनी अमावस्‍या (Mauni Amavasya ) आपको बता दें कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) के रूप में मनाई जाती है । आज के दिन लोग गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान का बहुत महत्‍व है और आज के दिन सम्‍पूर्ण विधि विधान से लक्ष्‍मीपति श्री नारायण की पूजा के साथ पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है । आपको जानकारी के लिए बता दें कि मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) के दिन मौन रहकर व्रत किया जाता है । कहा जाता है मौनी अमावस्या को मौन व्रत रखने से व्यक्ति का आत्मबल दृढ़ होता है। मान्यताओं के अनुसार, माघी अमावस्या के दिन ही मनु का जन्म हुआ था, जिनको प्रथम पुरुष भी कहा जाता है। आज इस लेख के माध्‍यम आज हम आपको बतानें जा रहें हैं मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) के मुहूर्त, व्रत, दान और महत्व तो आइये जानतें हैं ।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) को गंगा स्नान का महत्‍व
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) का अपना ​एक विशेष महत्व है। इस दिन संभव हो सके तो गंगा नदी में स्नान करें। फिर व्रत रखकर पूरे दिन मौन रहें। इससे आपका आत्मबल मजबूत होगा। गंगा स्नान के बाद पात्र लोगों को तिल के लड्डू, तिल, तिल का तेल, वस्त्र, आंवला आदि दान करें। जरूरतमंद लोगों को सर्दी के वस्त्र, कंबल आदि भी दान करना उत्तम होता है।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) 2021 मुहूर्त
माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या (Mauni Amavasya ) तिथि का प्रारंभ 10 फरवरी को देर रात 01 बजकर 08 मिनट पर हो रहा है, जो 11 फरवरी को देर रात 12 बजकर 35 मिनट तक है। ऐसे में उदया तिथि 11 फरवरी को प्राप्त हो रही है, ऐसे में मौनी अमावस्या 11 फरवरी को होगी। 11 फरवरी को ही मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) का स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ आदि किया जाएगा।



पीपल के वृक्ष की पूजा
धार्मि​क मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya ) के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि पीपल के तने में भगवान शिव, जड़ में भगवान विष्णु तथा अग्रभाग में ब्रह्मा जी का वास होता है। ऐसे में पीपल के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति को ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव तीनों की ही कृपा । 

आज के दिन करें ये उपाय 

इस दिन तिल, तिल का तेल, तिल के लड्डू, कपड़ें और आंवला दान करना चाहिए।

इस दिन कम्बल या फिर किसी ऊनी कपड़े को साधु, महात्मा तथा ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। साथ ही भोजन भी करवाना चाहिए।

इस दिन काले तिल को गुड़ में मिलाकर लड्डू बनाना चाहिए और इसे लाल कपड़े में बांधकर दान करना चाहिए।

इस दिन पितृ श्राद्ध का भी विधान है।

इस दिन किसी पवित्र नदी जैसे नर्मदा, गंगा, सिंधु, कावेरी आदि में स्नान करने से दोषों का निवारण होता है।

आज केे दिन न करें ये काम  ::

इस दिन नहाते समय और नहाने से पहले तक मौन रहें।

घर में कलेश न करें। किसी से कड़वा न बोलें।

इस दिन शरीर पर तेल की मालिश नहीं करनी चाहिए।

जो व्यक्ति व्रत कर रहा है तो उसे इस दिन श्रृंगार नहीं करना चाहिए।

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सूचना सामान्‍य उद्देश्‍य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्‍यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्‍न माध्‍यमों जैसे ज्‍योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्‍वयं की जिम्‍मेंदारी होगी ।

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