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आज है रथ सप्‍तमी का त्‍यौहार, जानें पौराणिक कथा व महत्‍व

आज यानि 19 फरवरी को रथ सप्‍तमी (Rath Saptami) का का त्‍यौहार मनाया जा रहा है । हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी मनाई जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन सूर्यदेव (suryadev) का प्राकट्य हुआ था। आज के दिन को रथ सप्तमी (Rath Saptami), सूर्य सप्तमी या आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है। आज के दिन ही ऋषि कश्यप अदिति के संयोग से सूर्यदेव (suryadev) का जन्म हुआ था। इसी दिन से सूर्य के सातों घोड़ों ने उनके रथ को वहन करना शुरू किया था। इसलिए आज के दिन को रथ सप्तमी (Rath Saptami) भी कहते हैं। आज के दिन भक्‍त भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करते हैं। माना जाता है कि सूर्यदेव (suryadev) की पूजा-अर्चना से निरोगी काया प्राप्‍त होती है। आज हम आपको रथ सप्‍तमी (Rath Saptami) या अचला सप्‍तमी की पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे।

शुभ मुहुर्त:
सप्तमी (Rath Saptami) तिथि आरंभ:

18 फरवरी 2021 दिन गुरूवार को सुबह 8 बजकर 17 मिनट से
सप्तमी तिथि समाप्त।
19 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार सुबह 10 बजकर 58 मिनट तक
सप्तमी के दिन अरुणोदय- सुबह 6 बजकर 32 मिनट
सप्तमी के दिन अवलोकनीय (दिखने योग्य) सूर्योदय- सुबह 6 बजकर 56 मिनट।



महत्‍व (Importance) :
धार्मिक मान्‍यता के अनुसार, रथ सप्‍तमी (Rath Saptami) के दिन सूर्य की आराधना से रोगों से मुक्ति मिलती है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने और उगते सूर्य को जल देने का नियम है। मान्यता है कि, ‘सूर्य सप्तमी’ (sury saptami) के दिन सूर्य की ओर मुख करके पूजा करने से चर्म रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। ज्योतिषशास्त्र (Astrology) में भी सूर्य का बड़ा महत्व है। इसके अनुसार सूर्यदेव (suryadev) की उपासना करने से पिता-पुत्र के संबंध मजबूत होते हैं और समाज में मान-सम्मान मिलता है।

पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण (lord shri krishna) के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल पर बहुत घमंड था। एक बार भगवान श्रीकृष्ण (lord shri krishna) से मिलने के लिए दुर्वासा ऋषि पधारे। बहुत दिनों तक तप करने से वे दुर्बल हो गए थे। दुर्वासा ऋषि की दुर्बलता देख शाम्ब जोर-जोर से हंसने लगा उनका अपमान कर दिया। इस पर दुर्वासा ऋषि को क्रोध आ गया शाम्ब को कुष्ठ होने का श्राप दे दिया। बेटे शाम्‍ब की यह स्‍थिति भगवान श्रीकृष्‍ण (lord shri krishna) से देखी नहीं गई उन्‍होंने शाम्‍ब को भगवान सूर्य (lord suya) की उपासना करने की सलाह दी। इस पर शाम्ब ने सूर्यदेव (suryadev) की आराधना शुरू कर दी कुछ समय बाद शाम्‍ब को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल गई। इसलिए माना जाता है कि सप्तमी के दिन सूर्यदेव (suryadev) की आराधना करने से निरोगी काया की प्राप्‍ति होती है।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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