यातायात के नियम सिखाने के लिए अब शहर के आसपास घूम रही टीम
इंदौर। ट्राफिक पुलिस भले ही यातायात सुधारने के लिए पूरा माह सड़क सुरक्षा माह के रूप में मना रही हो, लेकिन बड़े अफसरों के जाम में फंसने और शहर का यातायात बार-बार प्रभावित होने की घटना ने यातायात इंजीनियरिंग की पोल खोलकर रख दी है। वहीं ट्राफिक पुलिस की एक टीम शहर से दूर गांव-गांव जाकर यातायात नियमों का प्रचार कर रही है।
हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता था, लेकिन इस बार इंदौर का यातायात सुधारने के लिए पूरे माह जनजागरूकता के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसको लेकर यातायात पुलिस और स्वयंसेवी संस्थाएं भी अलग-अलग आयोजन कर रही है। मनीष कपूरिया जैसे ही डीआईजी पदस्थ हुए वे शहर में भ्रमण पर निकले और एसपी के साथ ट्राफिक जाम में फंस गए। इसके बाद पूरे शहर के थानों के जवानों को शाम के वक्त अपने-अपने क्षेत्र में यातायात सुचारू करने के लिए तैनात कर दिया गया है। इसका परिणाम धीरे-धीरे सामने आएगा, लेकिन यातायात पुलिस ने अब शहर के आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी यातायात सुधार के लिए अभियान छेड़ा है। पहले यातायात पुलिस की टीम बेटमा गई और कल सिमरोल में थीं। पुलिस का कहना है कि ग्रामीण हाइवे या बड़ी सड़क पर कैसे चलें, इसके लिए उन्हें समझाया जा रहा है। इसके बाद पुलिस दूसरे और क्षेत्र में भी जाएगी। हालांकि अभी भी कई चौराहों पर यातायात पुलिस के जवान ट्राफिक सुधारने की बजाय चालानी कार्रवाई में ज्यादा व्यस्त रहते हैं। यह नजारा शहर के चौराहों पर देखा जा सकता है। यहां तक कि जिन क्षेत्रों में निगम द्वारा खुदाई काम किया जा रहा है वहां तो और भी समस्या हो जाती है और वाहन गुत्थमगुत्थ होते रहते हैं। अभी पार्क रोड बंद होने के बाद लैंटर्न चौराहा, हाईकोर्ट तिराहा और रीगल चौराहे पर यातायात का दबाव है, लेकिन वहां कुछ पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, जिनसे यातायात संभल नहीं पाता है।
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