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पिछले पाँच सालों में ढाई हजार लोग हो गए लापता

July 01, 2025

  • 200 लोगों की खात्मा रिपोर्ट बनाई : 2025 में अब तक 493 लापता, इसमें 161 पुरुष और 332 महिलाएँ थी

उज्जैन। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक उज्जैन में पिछले पाँच सालों करीब 2500 लोग गायब हो चुके हैं। यानी, हर माह में औसतन 69 लोग लापता हुए। इनमें मिलने वालों की संख्या बहुत कम है। पुलिस रिकॉर्ड में 200 लापता ऐसे हैं जिनका कोई पता नहीं चला और पुलिस ने इन मामलों का एक तरह से खात्मा कर दिया है।


उल्लेखनीय है कि उज्जैन में लापता महिलाएँ और पुरुषों को लेकर दर्ज गुमशुदगियों का आंकड़ा हर साल बढ़ रहा हैं। आंकड़ों के मुताबिक उज्जैन जिले में इस साल के शुरुआती 5 महीनों में कुल करीब 493 मामले सामने आए हैं। इसमें 161 पुरुष और 332 महिलाएँ हैं। कुल गायब महिलाओं में से 214 महिलाओं को बरामद कर लिया गया है। 118 महिलाएँ आज भी गायब हैं। वहीं लापता 161 पुरुष में से 107 पुरुष ही मिले हैं। जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों से इस साल अभी तक करीब सैकड़ों लोग अचानक गायब हुए। इनमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक हैं। सभी मामलों में परिजनों ने संबंधित थानों में गुमशुदगी व अपहरण का केस दर्ज करवाया है। वहीं पुलिस ने मामला दर्ज कर सभी की तलाश शुरू कर दी है। चिंता की बात यह हैं कि हर साल यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर गायब लोग भूले-भटके भी मिलते क्यों नहीं है? इसी सवाल का जवाब खोजने के लिए अग्निबाण ने पड़ताल की तो पता चला कि पुलिस थानों में किसी की भी गुमशुदगी दर्ज होने के बाद उसकी खोजबीन के नाम पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। शहरी क्षेत्र हो या देहात पुलिस का रवैया एक जैसा रहता है। यही कारण है कि जिले में लापता होने वालों की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है। आम तौर पर पुलिस गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद परिजनों को ही खोजबीन करने में लगा देती है। कहने को पुलिस उन्हें आश्वासन तो देती है कि उनकी खोजबीन जारी है, लेकिन वे परिजनों से यह हमेशा कहते हैं कि आपको कहीं कोई सुराग मिल जाए तो हमें जरूर बताना। मिलने वालों में अधिकांश गुमशुदा ऐसे हैं, जो गलती से चले गए थे और खुद-ब-खुद ही लौट आए हैं। सच तो यह है कि पुलिस ऐसे मामलों में सुस्त नजर आती है। यही कारण है कि गुमशुदा लोगों का आंकड़ा उज्जैन सहित प्रदेश में तेजी से बढ़ता जा रहा है। इधर, पुलिस अफसरों का दावा है कि थाना स्तर पर पुलिस बल गुमशुदा की तलाश के लिए हर संभव प्रयास करता है, बावजूद, पुलिस रिकार्ड में गुमशुदा की संख्या कम क्यों नहीं हो रही है? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। उल्लेखनीय है कि बच्चा चोरी की घटनाएँ समय-समय पर होती रहती है और यह भी खबरें आती रहती है कि लड़कियों को चुराकर बाहर के देशों में भेजकर उनसे गलत काम कराए जाते हैं। ऐसे में परिवारों को चाहिए कि वे अपने बच्चों की विशेष सुरक्षा पर ध्यान दें। पुलिस द्वारा तो इसके लिए समय-समय पर एडवाइजरी जारी कर चेतावनी दी जाती है।

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