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    अल्पसंख्यक कांग्रेस में दो फाड़, नए गुट बने

  • September 22, 2021


    शेख अलीम के साथ रहने वाले कुछ पार्षद जुड़े दूसरे गुट से, अंदर ही अंदर लंबे समय से चल रहा था विरोध
    इंदौर। संजीव मालवीय
    लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति में अल्पसंख्यकों (Minorities) का एक ही गुट नजर आ रहा था, लेकिन गुट का नेतृत्व कर रहे शेख अलीम से अंदर ही अंदर नाराजगी भी चल रही थी और ये नाराजगी पिछले दिनों दो फाड़ के रूप में नजर आई। एक गुट शेख अलीम के साथ है तो दूसरा गुट पूर्व पार्षद इकबाल खान के साथ नजर आ रहा है। दूसरा गुट प्रदेश कांग्रेस (congress) के बड़े नेताओं तक जाकर अपनी बात रख चुका है। आने वाले निगम चुनाव में अल्पसंख्यकों (Minorities) की राजनीति में भी इसका असर नजर आने वाला है।


    शहर कांग्रेस (congress) में अल्पसंख्यक नेताओं (minority leaders) का बोलबाला रहा है और कांग्रेस के अधिकांश पूर्व पार्षद अल्पसंख्यक हैं, जिनमें फौजिया शेख अलीम (Fauzia Sheikh Aleem), रूबीना इकबाल खान (Rubina Iqbal Khan), मुबारिक मंसूरी, सादिक खान, अंसाफ अंसारी, अनवर दस्तक और जुलेखां अनवर कादरी, समरीन अयाज बेग शामिल हैं। उस्मान पटेल के पार्टी बदलने के बाद कुल 9 पूर्व पार्षद अल्पसंख्यक वर्ग से हैं। जब तक निगम का कार्यकाल था, तब तक सभी पार्षद शेख अलीम के साथ रहते थे और कांगे्रस (congress)  की सरकार आने के बाद इनका वर्चस्व बढ़ा। एक तरह से अलीम ही उनकी पत्नी के नेता प्रतिपक्ष होने का फायदा उठाते रहे और अल्पसंख्यकों (Minorities) के नेता हो गए। सूत्रों के अनुसार इसी का फायदा उठाकर अलीम ने अपने वार्ड में करोड़ों के काम भी करवा लिए, लेकिन पिछले कुछ दिनों से इस गुट में अंदर ही अंदर अलीम को लेकर विरोध चल रहा था और इसे हवा जब मिली, जब दूसरे गुट के लोग भोपाल पहुंचे और वहां कांग्रेस (congress)  उपाध्यक्ष तथा संगठन प्रभारी चन्द्रप्रभाष शेखर, पूर्व मंत्री आरिफ अकील, आरिफ मसूद और सज्जनसिंह वर्मा (Sajjan Singh Verma) से मिले। इनके साथ अलीम और उनसे जुड़े अल्पसंख्यक नेता नहीं थे। बताया जा रहा है कि इन लोगों ने अपनी बात बड़े नेताओं के सामने रखी और अब दूसरा गुट पूर्व पार्षद इकबाल खान (Iqbal Khan) के साथ नजर आ रहा है। इन्हें 3 नंबर से पार्षद रहे एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का भी साथ मिल गया है। हालांकि जो गुट गया था, वो कह रहा है कि वे तो आरिफ अकील के यहां एक कार्यक्रम में गए थे। अंदर की बात करें तो अलीम से अलग होने वाले पूर्व पार्षद इस बात पर नाराज थे कि अलीम अपने आपको अल्पसंख्यकों (Minorities) का बड़ा नेता बताकर अजमेर दरगाह कमेटी (Ajmer Dargah Committee) के सदर बन बैठे, वहीं अपने ही वार्ड में अधिकांश काम करवाए। इसके साथ ही कुछ और मुद्दों पर भी नेता नाराज हैं। जाहिर तौर पर कोई भी अलग होने की बात नहीं कह रहा है, लेकिन दोनों ही अलग-अलग नजर आ रहे हैं।

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