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UNHRC की टिप्पणी: श्रीलंका में ‘29000 से अधिक लोगों की कथित गिरफ्तारी चिंताजनक’

कोलंबो (Colombo)। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) दुनियाभर में होने वाले दुर्व्यवहार और यातनाओं के खिलाफ आवाज बुलंद करता है। श्रीलंका (Sri Lanka) में नशीली दवाओं के खिलाफ पुलिस के अभियान को लेकर यूएन ने चिंता जताई है। परिषद ने कहा, ‘हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि श्रीलंका में पुलिस अधिकारी मानवाधिकारों पर आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों पर ध्यान देने के बजाय देश की ड्रग्स समस्या से निपटने में लगे हैं।’ यूएन की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि 17 दिसंबर से अब तक नशीली दवाओं से संबंधित मामलों में 29,000 लोगों को कथित तौर पर गिरफ्तार किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने एक बयान में कहा, कुछ लोगों के साथ दुर्व्यवहार और यातना के आरोप भी सामने आए हैं। गौरतलब है कि श्रीलंका क सरकार ने देश में सक्रिय सभी ड्रग डीलरों को गिरफ्तार करने के लिए 30 जून की समयसीमा तय की है। 17 दिसंबर को ऑपरेशन युक्तिया (न्याय के लिए सिंहली शब्द) शुरू किया गया है। मंत्री तिरान एलेस ने इस मिशन का संकल्प लिया है। कार्यवाहक पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) देशबंधु तेनाकून की अगुवाई में नशीली दवाओं के कारोबार से जुड़े लोगों पर नकेल कसी जा रही है।



मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय ने गहरी चिंता जताई। आयोग ने कहा, मादक पदार्थों की समस्या को रोकने के लिए श्रीलंका पुलिस का एक्शन आलोचना योग्य है। यूएन की इस इकाई ने श्रीलंका सरकार से मानवाधिकार आधारित दृष्टिकोण अपनाने की अपील की है। साथ ही अपनी रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करने का आह्वान भी किया है। शुक्रवार रात जिनेवा में ओएचसीएचआर का बयान जारी किया गया। इसमें अधिकार के कथित दुरुपयोग, यातना और श्रीलंका पुलिस के ऑपरेशन के दौरान उचित प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई जैसे बिंदुओं का जिक्र किया गया।

दावा किया जा रहा है कि श्रीलंका में सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर बिना सर्च वारंट के छापेमारी की। इस दौरान मानवाधिकारों के हनन पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने इन आरोपों की गहन और निष्पक्ष जांच पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नागरिकों की अनधिकृत तलाशी, मनमानी गिरफ्तारी और हिरासत, उनके साथ दुर्व्यवहार, यातना और सार्वजनिक रूप से कपड़े उतारकर तलाशी लेने की सूचना मिली है जो आपत्तिजनक है। पुलिस अधिकारी लोगों को धमका रही हैं।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार अधिकारी के मुताबिक श्रीलंका में नशीली दवाओं का उपयोग समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है, लेकिन कठोर कानून और लोगों को प्रताड़ित करना इसका समाधान नहीं है। वोल्कर तुर्क ने कहा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों के कारण ड्रग्स का दुरुपयोग हो रहा है। नशीली दवाओं की बिक्री या तस्करी के संदिग्ध आरोपियों को पारदर्शी और निष्पक्ष सुनवाई के मौके मिलने चाहिए। आरोपी सम्मान के साथ मानवीय बर्ताव के हकदार हैं।

गौरतलब है कि 2023 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें देशों से प्रभावी नीतियां विकसित करने का आह्वान किया गया है। श्रीलंका के सुरक्षाबलों पर दमन के आरोपों को लेकर मानवाधिकार आयोग ने कहा, ऑपरेशन युक्तिया के दौरान अत्याचार, क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार की शिकायतें मिली हैं। व्यापक अन्याय और पुलिस की मनमानी की खबरों के कारण नशीली दवाओं के खिलाफ सरकार के ऑपरेशन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

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