भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

गहरी छाप छोड़ गया राम की अज़मत बयां करता उर्दू ड्रामा ‘इमामे हिन्द राम’

है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़
अहल-ए-नजऱ समझते हैं इस को इमाम-ए-हिंद।

ये बर्रेसगीर के अज़ीमुश्शान शायर अल्लामा इक़बाल हैं। जो हिंदुस्तानी सरज़मी की सबसे बा-वक़ार हस्ती श्री राम की शान में अपनी नज़्म पढ़ रहे हैं। श्री राम की अज़मत बयां करते हुए अल्लामा आगे अजऱ् करते हैं- एजाज़ इस चराग़-ए-हिदायत का है यही रौशन-तर-अज़-सहर है ज़माने में शाम-ए-हिंद तलवार का धनी था शुजाअ’त में फ़र्द था पाकीजग़ी में जोश-ए-मोहब्बत में फ़र्द था। मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर मुख्तलिफ शायरों के लिखे कलाम पर केंद्रित एक भोत भेतरीन ड्रामा गुजिश्ता दिनों भोपाल में खेला गया था। संस्कृति महकमे के तहत मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी ने उर्दू नाट्य समारोह के तहत जिन तीन ड्रामों को भोपाल में मंचित कराया था उनमे ‘इमाम-ए-हिन्द राम, नाज़-ए-हिन्द रामÓ उनवान से खेला गया ड्रामा बहुत पसंद किया गया। जो लोग इसे नहीं देख पाए वो अफसोस कर रहे हैं कि काश हम भी इसे देख पाते। इंदौर के थियेटर आर्टिस्ट, मुसन्निफ़ और डायरेक्टर आलोक वाजपेई ने इस ड्रामे को उर्दू या कहें हिंदुस्तानी में लिखा है। आलोक ने इस ड्रामे की थीम श्री राम की अज़मत को बयां करती हुई रखी है। इस ड्रामे के तीन हिस्से हैं। पहले और तीसरे हिस्से में दो नोजवान फनकारों के ज़रिए मुल्क की गंगा जमुनी तहजीब की गहरी जड़ों की बात कही गई है। वहीं वक़्ती तौर पे तंगनजरी वाले दो किरदार भी बाद में तस्लीम करते हैं कि राम किसी एक मज़हब या कोम या मज़हब के नहीं वरन पूरे मुल्क की शान हैं।


दूसरे हिस्से में एक काल्पनिक मुशायरे में उन शायरों को शामिल किया गया है जिन्होंने श्रीराम के किरदार की अज़मत पे नज़्में लिखी हैं। उनमे अल्लामा इक़बाल का किरदार प्रांजल श्रोत्रिय ने भोत भेतरीन निभाया है। राम पर पंडित ब्रजनारायन चकबस्त ने बहुत उम्दा शेर कहे हैं। चकबस्त के किरदार में भोपाल के शायर, फि़ल्म और थियेटर आर्टिस्ट बद्र वास्ती ने कमाल का रोल किया है। शम्स मीनाई की राम पर लिखी नज़्म को खुद आलोक वाजपेयी ने पेश किया। शायर रहबर जौनपुरी के किरदार में गुलरेज खान और पाकिस्तान के शायर जफ़र अली ख़ान के किरदार में रवि वर्मा छा गए। अब्दुल रहीम खानखाना का किरदार कबीर वर्मा ने, मौलवी बादशाह हुसैन राणां का किरदार तनवीर फ़ारूक़ी ने जानदार निभाया। अमीर खुसरो के रोल में जय गिरवाल और जगन्नाथ खुशतर के रोल में जावेद अहमद शाह ने जान डाल दी। इस प्ले में पीर बाबा के रोल में सुशील जोहरी और रॉक बेंड के लीड सिंगर सतीश श्रोत्रिय ने माहौल बना दिया। इन्दोर के अभ्युदय सांस्कृतिक मंच की ये पेशकश भोपाल के बाद इंदौर में भी हुई। वहां इसे इतना पसंद किया गया कि नाटक के डायरेक्टर आलोक वाजपेयी के मुताबिक़ कल्चरल महकमे की मिनिस्टर उषा ठाकुर इसे इन्दोर में बड़े पैमाने पे दोबारा मंचित करवाने का सोच रही हैं। मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की डायरेक्टर मोहतरमा नुसरत मेहंदी साहेबा अक्सर उर्दू ड्रामा फेस्टिवल में चुनिंदा ड्रामों को चुनती हैं। इमामे हिन्द राम, नाज़-ए-हिन्द राम ड्रामा एक तरह से इन्फो ड्रामा भी है। जिसमे हमे कई तरह की जानकारियां भी मिलती हैं। ड्रामे की पूरी आवाज़ कौमी एकता, भाईचारे और मुहब्बत है। साथ ही इसमे तंगनजरी के खिलाफ मेसेज के साथ ही मुल्क की तासीर में एक दूसरे के वलियों के लिए मुहब्बत और अमन का भाव भी है। नुसरत बिया से सूरमा की गुजारिश है कि इस ड्रामे को भोपाल में एक बार और मंचित करवा दें ताकी जो लोग नहीं देख सके वो भी लुत्फअंदोज़ हो सकें।

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